क्या भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा हुई?

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क्या भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत करने पर चर्चा हुई?

सारांश

भारत और उज़्बेकिस्तान ने ताशकंद में आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में दोनों देशों ने जानकारी साझा करने और रणनीतियों पर चर्चा की। जानें इस बैठक की अहम बातें और भविष्य की योजनाएँ।

Key Takeaways

  • भारत और उज्बेकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए।
  • बैठक में आतंकवाद की मौजूदा और उभरती चुनौतियों पर चर्चा हुई।
  • अगली बैठक भारत में आयोजित की जाएगी।
  • दोनों देशों ने साझा सुरक्षा हितों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठनों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया।

ताशकंद, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और उज़्बेकिस्तान ने ताशकंद में आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्य समूह की 9वीं बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए जानकारी साझा करने, क्षमता निर्माण और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर गहन चर्चा की।

बैठक का सह-अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्रालय के आतंकवाद विरोधी संयुक्त सचिव विनोद जे. बहाडे और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के सहयोग विभाग के प्रमुख गुलोमजोन पीरिमकुलोव ने की। इस दौरान, दोनों देशों के अधिकारियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "दोनों पक्षों ने वैश्विक और अपने-अपने क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों द्वारा उत्पन्न खतरों पर गहन चर्चा की। आतंकवाद विरोधी मौजूदा और उभरती चुनौतियों जैसे कट्टरता, चरमपंथ, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला, और आतंकवादी उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को रोकने पर भी विचार साझा किए गए।"

दोनों देशों के अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना और यूरेशियन समूह में सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। अगली संयुक्त कार्य समूह की बैठक भारत में एक आपसी सुविधाजनक तिथि पर आयोजित की जाएगी।

अगस्त में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्ज़ियोयेव से मुलाकात की थी। पीएम मोदी ने इस साझेदारी को "गतिशील" बताते हुए कहा कि दोनों देश संस्कृति, अर्थव्यवस्था और जन-संपर्क संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं।

भारत उज़्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के तुरंत बाद इसे संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में शामिल था। भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना का प्रोटोकॉल 1992 में ताशकंद में हस्ताक्षरित किया गया था। 2011 में, दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। इस साझेदारी के तहत राजनीतिक और आधिकारिक स्तर पर कई संस्थागत संवाद तंत्र चलाए जाते हैं ताकि सहयोग गतिविधियों पर नियमित बातचीत और अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

Point of View

भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की मजबूती से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश अपनी सुरक्षा के लिए गंभीर हैं। यह सहयोग न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा।
NationPress
01/10/2025

Frequently Asked Questions

भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग का क्या महत्व है?
यह सहयोग दोनों देशों के लिए आतंकवाद के खतरे को कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने में सहायक है।
क्या इस बैठक में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई?
हां, बैठक में आतंकवाद के वित्तपोषण, कट्टरता, और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर भी चर्चा की गई।