क्या भारत का यूरोप को डीजल निर्यात अगस्त में दोगुना हुआ?

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क्या भारत का यूरोप को डीजल निर्यात अगस्त में दोगुना हुआ?

सारांश

भारत का डीजल निर्यात अगस्त में यूरोप के लिए दोगुना हो गया है, जो खरीदारों की बढ़ती मांग का परिणाम है। यह वृद्धि यूरोपीय संघ के रूसी तेल पर प्रतिबंध से पहले की है, जिससे बाजार में हलचल मची है। जानिए इसके पीछे के कारण और इसके प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत का डीजल निर्यात अगस्त में दोगुना हुआ।
  • यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंध का प्रभाव प्रमुख कारण है।
  • नीदरलैंड में रिफाइनरी में रखरखाव ने भी योगदान दिया।
  • रुसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध जनवरी 2026 से लागू होगा।
  • भारत की ऊर्जा बाजार में नई दिशा।

नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का यूरोप को डीजल निर्यात अगस्त में दोगुने से भी अधिक बढ़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यूरोपीय संघ द्वारा रूसी कच्चे तेल से बने प्रोसेस्ड ईंधन पर लगने वाले प्रतिबंध से पहले खरीदारों ने खरीदारी को तेज कर दिया है। यह प्रतिबंध जनवरी 2026 से लागू होगा, जैसा कि मार्केट एनालिस्ट ने बताया है।

ग्लोबल रीयल-टाइम डेटा और एनालिटिक्स प्रोवाइडर केप्लर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में भारत का डीजल निर्यात बढ़कर 2,42,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) हो गया, जो पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। डीजल निर्यात के 12 महीने के औसत में भी 124 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

इस वृद्धि में एक और महत्वपूर्ण कारक नीदरलैंड स्थित शेल की पर्निस रिफाइनरी में अचानक रखरखाव के कारण आपूर्ति में व्यवधान है। विश्लेषक आगामी सर्दी के मौसम को खरीदारी में वृद्धि का एक अन्य कारण मानते हैं।

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के 18वीं श्रृंखला के तहत अब रूसी कच्चे तेल से बने प्रोसेस्ड उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसमें भारत में बनाए गए प्रोसेस्ड उत्पाद भी शामिल हैं। यह प्रतिबंध रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी के लिए एक बड़ा झटका है, जो यूरोप को ईंधन आपूर्ति में प्रमुख हैं।

यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल से बने उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य प्रोसेस्ड उत्पादों के यूरोपीय संघ में आने पर रोक लगाना है, ताकि रूसी कच्चे तेल को किसी भी रूप में यूरोपीय संघ के बाजार में न पहुंचने दिया जाए।

यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल के लिए मूल्य सीमा को 60 डॉलर से घटाकर 47.6 डॉलर कर दिया है और भविष्य में इसकी समीक्षा के लिए एक स्वचालित तंत्र की शुरुआत की है।

नई प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि यह सीमा पिछले छह महीनों में यूराल कच्चे तेल के औसत बाजार मूल्य से हमेशा 15 प्रतिशत कम रहे, ताकि ऑपरेटरों के लिए पूर्वानुमान लगाना आसान हो। इससे रूस के ऊर्जा राजस्व पर दबाव भी बढ़ेगा।

Point of View

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत का डीजल निर्यात बढ़ना न केवल अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी एक नई धारा उत्पन्न कर सकता है। हमें इस बढ़ती मांग को समझना चाहिए और इसे सही दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का डीजल निर्यात अगस्त में क्यों बढ़ा?
भारत का डीजल निर्यात अगस्त में बढ़ा क्योंकि यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल से बने प्रोसेस्ड उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
यह वृद्धि कितनी प्रतिशत है?
अगस्त में भारत का डीजल निर्यात पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 124 प्रतिशत बढ़ा है।
रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध कब लागू होगा?
रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध जनवरी 2026 से लागू होगा।
क्या यह वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है?
हां, यह वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे निर्यात में वृद्धि होगी।
यूरोपीय संघ द्वारा अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है?
जी हां, यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल से बने अन्य प्रोसेस्ड उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया है।