क्या 13 जुलाई को टीम इंडिया ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर अपना पहला वनडे खेला?

सारांश
Key Takeaways
- 13 जुलाई 1974 को भारत ने अपना पहला वनडे मैच खेला।
- लॉर्ड्स का ऐतिहासिक मैदान इस मैच का स्थान था।
- टीम की कप्तानी अजीत वाडेकर ने की थी।
- भारत ने अपनी पहली वनडे श्रृंखला हार गई थी।
- भारत ने 1983 और 2011 में वनडे विश्व कप जीते हैं।
नई दिल्ली, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 13 जुलाई का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी दिन टीम इंडिया ने अपना पहला वनडे मैच खेला था। यह वह समय था जब वनडे प्रारूप 60-60 ओवरों का हुआ करता था।
जहां वनडे इतिहास का पहला मैच 1971 में खेला गया था, वहीं टीम इंडिया ने इस प्रारूप में पहला मैच लगभग तीन साल बाद खेला। उस समय वनडे मैच, टेस्ट मैच की छाया के समान थे। टीमें सफेद जर्सी पहनती थीं और बल्लेबाजों का ध्यान तकनीक और खराब गेंदों पर रन बनाने पर अधिक होता था। तब प्रति ओवर 5 रन का स्कोर काफी अच्छा माना जाता था।
टेस्ट क्रिकेट के पारंपरिक खेल के बाद, वनडे क्रिकेट ने फैंस के लिए ताजगी का अनुभव दिया। टीम इंडिया ने अपना पहला वनडे मैच 1974 में खेला, जिसमें कप्तान अजीत वाडेकर थे। यह मैच भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला गया था।
मेजबान इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया। भारत की ओर से सुनील गावस्कर और सुधीर नाइक सलामी बल्लेबाज के रूप में मैदान पर उतरे, जिन्होंने कुछ बाउंड्री के साथ भारत के स्कोर में योगदान दिया।
इन दोनों के बीच 44 रन की साझेदारी हुई। नाइक 29 गेंदों में दो चौकों के साथ 18 रन बनाकर आउट हुए। इसके कुछ देर बाद, सुनील गावस्कर भी अपना विकेट गंवा बैठे। उन्होंने 35 गेंदों में एक छक्का और तीन चौके की मदद से 28 रन बनाए।
भारतीय टीम ने 60 के स्कोर तक सलामी बल्लेबाजों के अलावा गुंडप्पा विश्वनाथ (4) का विकेट गंवा दिया, लेकिन अजीत वाडेकर ने कप्तानी पारी खेलते हुए फारुख इंजीनियर के साथ चौथे विकेट के लिए 70 रन जोड़े और संकट से उबारा।
फारुख इंजीनियर ने 32 रन बनाकर पवेलियन लौटे, इसके बाद बृजेश पटेल ने कप्तान का साथ दिया। दोनों ने पांचवे विकेट के लिए 51 रन जोड़े।
कप्तान वाडेकर ने 82 गेंदों में 67 रन बनाए, जिसमें 10 चौके शामिल थे, जबकि बृजेश पटेल ने 78 गेंदों में दो छक्कों और आठ चौकों की मदद से 82 रन की पारी खेली। भारतीय टीम 53.5 ओवर में 265 रन पर सिमट गई।
इंग्लैंड की तरफ से क्रिस ओल्ड ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए, जबकि ज्योफ अर्नोल्ड, रॉबिन जैकमैन, और बॉब वूल्मर को दो-दो सफलताएँ मिलीं। यह बॉब वूल्मर वही थे जिन्होंने बाद में कोचिंग में नाम कमाया। उनके आकस्मिक निधन ने क्रिकेट जगत को झकझोर दिया था।
भारत-इंग्लैंड मैच में मेजबान टीम ने 51.1 ओवर में जीत हासिल की। इंग्लैंड ने 96 के स्कोर तक डेनिस एमिस (20), डेविड लॉयड (34) और कप्तान माइक डेनेस (8) का विकेट गंवा दिया।
इसके बाद जॉन एडरिच ने कीथ फ्लेचर के साथ चौथे विकेट के लिए 83 रन जोड़े और जीत की ओर बढ़े। एडरिच ने 97 गेंदों में एक छक्का और छह चौकों की मदद से 90 रन की धुंआधार पारी खेली। वहीं, कीथ फ्लेचर ने 39 रन बनाए।
भारत की ओर से बिशन बेदी और एकनाथ सोल्कर ने दो-दो विकेट लिए, जबकि मदान लाल और श्रीनिवास वेंकटेश्वरन ने एक-एक विकेट अपने नाम किया।
इंग्लैंड ने इस वनडे मैच को 4 विकेट से अपने नाम किया और इसके बाद अगले मैच को भी जीतकर श्रृंखला 2-0 से अपने नाम की।
हालांकि टीम इंडिया ने अपने पहले वनडे मैच और पहली श्रृंखला को गंवाया, लेकिन समय के साथ उसने इस फॉर्मेट में अपनी महारत साबित की। भारत ने 1983 का वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इस प्रारूप में अपनी ताकत को दर्शाया। आज, भारत क्रिकेट की वैश्विक शक्ति है और वनडे में दो बार विश्व कप जीत चुका है।