क्या सुप्रीम कोर्ट में वकील ने न्यायमूर्ति को केवल 'वर्मा' कहकर किया अपमान?

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क्या सुप्रीम कोर्ट में वकील ने न्यायमूर्ति को केवल 'वर्मा' कहकर किया अपमान?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में वकील ने जज का अपमान किया। जानिए क्या हुआ जब मुख्य न्यायाधीश ने वकील को फटकार लगाई।

Key Takeaways

  • मुख्य न्यायाधीश ने वकील को शिष्टाचार बनाए रखने की सलाह दी।
  • जस्टिस वर्मा का अपमान अस्वीकार्य है।
  • याचिका में गंभीर आरोपों की चर्चा की गई।

नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील मैथ्यूज जे. नेदुमपारा को सख्त फटकार लगाई। नेदुमपारा ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम केवल "वर्मा" कहकर लिया, जबकि जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के स्टोररूम में नकद राशि मिलने के आरोपों की चर्चा चल रही थी।

सीजेआई गवई ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "क्या वे आपके मित्र हैं? वे अभी भी जस्टिस वर्मा हैं। कुछ शिष्टाचार का पालन करें। आप एक विद्वान जज का उल्लेख कर रहे हैं।"

यह टिप्पणी तब आई जब नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा के बंगले से भारी मात्रा में नकदी मिलने के कथित मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने के लिए तीसरी बार याचिका दायर की थी।

सीजेआई ने इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए पूछा, "क्या आप चाहते हैं कि याचिका को अभी खारिज कर दिया जाए?" जिसके उत्तर में वकील ने कहा, "याचिका खारिज नहीं हो सकती। एफआईआर दर्ज होनी ही चाहिए। अब तो वर्मा भी यही चाहते हैं। एफआईआर और जांच जरूरी है।"

इस पर सीजेआई ने नेदुमपारा को फिर से शिष्टाचार बनाए रखने की सलाह दी और याद दिलाया कि जस्टिस वर्मा अभी भी जज हैं।

नेदुमपारा की याचिका में दावा किया गया है कि 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के बंगले के स्टोररूम में आग लगने के बाद वहां से जली हुई नकदी बरामद हुई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार—जो दिल्ली पुलिस को नियंत्रित करती है—को तुरंत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देना चाहिए।

मई में सुप्रीम कोर्ट ने नेदुमपारा की ऐसी ही एक याचिका को खारिज कर दिया था। उस समय जस्टिस अभय एस. ओका (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि इस मामले में इन-हाउस जांच चल रही है और उसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई है। बेंच ने नेदुमपारा को सलाह दी थी कि वे पहले इन अधिकारियों को अपनी मांग के लिए आवेदन दें। अगर कार्रवाई नहीं होती, तो वे कोर्ट में वापस आ सकते हैं।

मार्च के अंत में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की एक याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इन-हाउस जांच अभी चल रही है। अगर जांच में कुछ गलत पाया गया, तो एफआईआर दर्ज की जा सकती है या मामला संसद को भेजा जा सकता है।

दूसरी ओर, जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इन-हाउस समिति के फैसले को चुनौती दी है। उनकी याचिका में कहा गया है कि समिति ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया और उन्हें अपनी सफाई में बात रखने का उचित मौका नहीं दिया गया।

Point of View

यह मामला न्यायपालिका की गरिमा और शिष्टाचार की आवश्यकता को दर्शाता है। वकील का व्यवहार अनुचित था और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

नेदुमपारा ने जस्टिस वर्मा को क्यों 'वर्मा' कहा?
यह उनके द्वारा जज के प्रति असम्मानजनक व्यवहार था, जिसे मुख्य न्यायाधीश ने गंभीरता से लिया।
क्या मामले की सुनवाई जारी रहेगी?
जी हाँ, मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी लेकिन वकील को शिष्टाचार का पालन करना होगा।
जस्टिस वर्मा ने क्या प्रतिक्रिया दी?
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी सफाई की मांग की है।