क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 बिलियन डॉलर बढ़कर 693.31 बिलियन डॉलर हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- विदेशी मुद्रा भंडार 693.318 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
- सोने के भंडार में 2.623 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।
- फॉरेन करेंसी एसेट्स में 1.641 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ।
- यह वृद्धि देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाती है।
- केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग मुद्रा की स्थिरता के लिए करता है।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 दिसंबर, 2025 को समाप्त हुए हफ्ते में 4.368 बिलियन डॉलर की वृद्धि के साथ 693.318 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। यह जानकारी आरबीआई द्वारा शुक्रवार को साझा की गई।
पिछले हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 688.94 बिलियन डॉलर था, जिसमें 1.689 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया है कि 19 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट्स की वैल्यू 1.641 बिलियन डॉलर बढ़कर 559.428 बिलियन डॉलर हो गई है।
इस दौरान सोने के भंडार में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिली है। केंद्रीय बैंक के पास सोने के भंडार की वैल्यू 2.623 बिलियन डॉलर बढ़कर 110.365 बिलियन डॉलर हो गई है।
एसडीआर की वैल्यू 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.744 बिलियन डॉलर हो गई है। इसके अतिरिक्त, आईएमएफ के पास रिजर्व पॉजिशन की हिस्सेदारी 95 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.782 बिलियन डॉलर हो गई है।
किसी भी देश के लिए उसका विदेशी मुद्रा भंडार बहुत महत्वपूर्ण होता है और यह उस देश की आर्थिक स्थिति का संकेत देता है। यह मुद्रा की विनिमय दर को स्थिर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उदाहरण के लिए, यदि डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव बढ़ता है और उसकी वैल्यू कम होती है, तो केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कर रुपये को गिरने से रोक सकता है और विनिमय दर को स्थिर रख सकता है।
बढ़ता हुआ विदेशी मुद्रा भंडार यह भी दर्शाता है कि देश में डॉलर की आवक बड़ी मात्रा में बनी हुई है, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही, यह देश के लिए विदेशों में व्यापार करना भी आसान बनाता है।