क्या भारत के आर्थिक आंकड़े मजबूत रहने से ब्याज दरें कम रहेंगी?

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क्या भारत के आर्थिक आंकड़े मजबूत रहने से ब्याज दरें कम रहेंगी?

सारांश

क्या भारत के आर्थिक आंकड़े मजबूती के साथ ब्याज दरों को स्थिर रखेंगे? भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि मजबूत आर्थिक वृद्धि और नियंत्रित महंगाई से प्रमुख नीतिगत दरें लंबे समय तक कम रह सकती हैं। यह भारत के व्यापार समझौतों के संभावित प्रभावों पर भी निर्भर करेगा।

Key Takeaways

  • आरबीआई के गवर्नर के अनुसार, नीतिगत दरें लंबे समय तक कम रहेंगी।
  • भारत की आर्थिक वृद्धि दर मजबूत है।
  • महंगाई नियंत्रण में है, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकारी सिक्योरिटीज में 1 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा।
  • केंद्रीय बैंक ने तटस्थ नीतिगत रुख अपनाने का निर्णय लिया है।

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि आरबीआई के अनुमानों के अनुसार प्रमुख नीतिगत दरें 'लंबे समय तक' कम रहेंगी, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मजबूत है और महंगाई नियंत्रण में है। फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

मल्होत्रा ने बताया कि यदि भारत के यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर होते हैं, तो देश की आर्थिक वृद्धि आरबीआई के अनुमान से अधिक हो सकती है।

एफटी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के व्यापार समझौते का प्रभाव लगभग आधा प्रतिशत हो सकता है।

इसका अर्थ है कि देश की विकास दर आधा प्रतिशत और बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने यूरोपीय संघ के व्यापार समझौते के संभावित प्रभाव पर गहराई से अध्ययन नहीं किया था, लेकिन इससे भी विकास दर में वृद्धि होगी।

कुछ अर्थशास्त्रियों ने भारत के आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। इस पर मल्होत्रा ने कहा, “कुछ आंकड़ों में सुधार हो सकता है, लेकिन मैं मानता हूं कि ये आंकड़े काफी मजबूत और भरोसेमंद हैं।”

आरबीआई गवर्नर ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 5 दिसंबर को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे पहले के 5.5 प्रतिशत से घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि और महंगाई में 1.7 प्रतिशत की गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक “गोल्डिलॉक्स पीरियड” (संतुलित और अनुकूल समय) का निर्माण किया है।

मल्होत्रा ने आगे कहा कि कम मुद्रास्फीति के चलते विकास को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। आरबीआई ने देश की जीडीपी वृद्धि दर का अपना अनुमान भी पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई अर्थव्यवस्था में ज्यादा पैसे डालने के लिए सरकारी सिक्योरिटीज खरीद के जरिए 1 लाख करोड़ रुपए निवेश करेगा। साथ ही, आरबीआई 5 अरब डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप भी लागू करेगा।

केंद्रीय बैंक ने 'तटस्थ नीतिगत रुख' अपनाने का भी फैसला किया है, ताकि मुद्रास्फीति नियंत्रित रहे और विकास भी बाधित न हो।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और महंगाई पर नियंत्रण हमारे विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आरबीआई के गवर्नर की बातें इस बात का संकेत हैं कि हमें सतर्कता से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई की नीतिगत दरें कब तक कम रहेंगी?
आरबीआई के गवर्नर के अनुसार, प्रमुख नीतिगत दरें लंबे समय तक कम रहने की संभावना है।
क्या भारत के व्यापार समझौतों का असर विकास दर पर पड़ेगा?
हां, यदि भारत के अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर होते हैं, तो विकास दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आरबीआई ने रेपो रेट में कितनी कटौती की?
आरबीआई ने 5 दिसंबर को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है।
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