क्या भारत की आर्थिक वृद्धि दर में एनर्जी और मैरीटाइम सेक्टर की भूमिका है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत की आर्थिक वृद्धि में एनर्जी और मैरीटाइम सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- भारत का जीडीपी लगभग 4.3 ट्रिलियन डॉलर है।
- भारत की कच्चे तेल की खपत 5.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन है।
- भारत लगभग 88 प्रतिशत कच्चे तेल की आवश्यकता आयात करता है।
मुंबई, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि भारत की तेज आर्थिक वृद्धि दर में एनर्जी और मैरीटाइम सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है और ये राष्ट्र के विकास के दो मजबूत स्तम्भ हैं।
देश की आर्थिक राजधानी में 'इंडिया मैरीटाइम वीक 2025' के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से प्रगति कर रही है और जीडीपी लगभग 4.3 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। इसमें एक्सटर्नल सेक्टर की हिस्सेदारी लगभग आधी है, जिसमें निर्यात, आयात और रेमिटेंस शामिल हैं। यह दर्शाता है कि देश के आर्थिक विकास में शिपिंग क्यों इतना महत्वपूर्ण है।
एनर्जी सेक्टर पर पुरी ने बताया कि भारत वर्तमान में 5.6 मिलियन बैरल कच्चे तेल का प्रतिदिन उपयोग करता है, जो कि 4.5 साल पहले 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन था। इस विकास की गति से देश की कच्चे तेल की खपत 6 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुँच सकती है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के अनुसार, अगले दो दशकों में वैश्विक एनर्जी डिमांड में भारत का योगदान लगभग 30 प्रतिशत होने की आशंका है, जो पहले के 25 प्रतिशत के अनुमान से कहीं अधिक है। उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में तेल, गैस और अन्य ऊर्जा उत्पादों को ले जाने के लिए भारत के जहाजों की आवश्यकता को बढ़ाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2024-25 के दौरान, भारत ने लगभग 300 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया और लगभग 65 मिलियन मीट्रिक टन का निर्यात किया। अकेले तेल और गैस क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि भारत वर्तमान में अपनी लगभग 88 प्रतिशत कच्चे तेल और 51 प्रतिशत गैस की जरूरतों को आयात के जरिये पूरा करता है, जो दर्शाता है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए शिपिंग सेक्टर कितना महत्वपूर्ण है।