क्या भारत की क्रेडिट डिमांड मजबूत है? कुल एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा: रिपोर्ट

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क्या भारत की क्रेडिट डिमांड मजबूत है? कुल एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा: रिपोर्ट

सारांश

भारत की क्रेडिट डिमांड में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो डिजिटलीकरण और उपभोक्ता आकांक्षाओं का परिणाम है। एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गई है। क्या यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा? जानें इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • भारत की क्रेडिट डिमांड में वृद्धि हो रही है।
  • मार्च 2025 तक एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए पहुँच गई है।
  • नए ऋण वितरण 16 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए।
  • सुरक्षित ऋणों का योगदान कुल ऋणों में 32 प्रतिशत है।
  • असुरक्षित ऋणों में भी 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। तेजी से बढ़ते डिजिटलीकरण, बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं और मजबूत वित्तीय अवसंरचना के चलते भारत की क्रेडिट डिमांड में मजबूती बनी हुई है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।

ग्लोबल डेटा और टेक्नोलॉजी कंपनी एक्सपेरियन ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि मार्च 2025 तक इंडस्ट्री एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 121 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए, जो सालाना आधार पर 21 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि तिमाही के दौरान नए ऋण वितरण 16 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गए, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि है। यह मुख्य रूप से गोल्ड लोन, बिजनेस लोन और लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी) में निरंतर वृद्धि के कारण है।

एक्सपेरियन के भारत में कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष जैन ने कहा, "डिजिटलीकरण, बदलती उपभोक्ता आकांक्षाएँ और एक मजबूत वित्तीय अवसंरचना के पृष्ठभूमि में भारत का क्रेडिट इकोसिस्टम लगातार विकसित हो रहा है।"

उन्होंने आगे कहा कि हमारा लेटेस्ट क्रेडिट इनसाइट विशेष रूप से सुरक्षित ऋण और छोटे-टिकट वाले व्यक्तिगत ऋणों में इस मांग की संरचनात्मक गहराई को रेखांकित करता है, जो बढ़ते उपभोक्ता विश्वास और जिम्मेदारी उधारी दोनों की ओर इशारा करता है।

वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सुरक्षित ऋण परिदृश्य में तेजी देखी गई, जिसमें ऋणों का योगदान कुल ऋणों के 32 प्रतिशत के बराबर था।

रिपोर्ट के अनुसार, इस सेगमेंट में 1.7 लाख रुपए का स्थिर एवरेज टिकट साइज भी देखा गया, जो उधारकर्ताओं के निरंतर व्यवहार और स्वस्थ ऋण रुचि को दर्शाता है।

असुरक्षित ऋण मजबूत बना रहा, पोर्टफोलियो में तिमाही आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका नेतृत्व बिजनेस लोन पोर्टफोलियो में तिमाही आधार पर 22 प्रतिशत की वृद्धि ने किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्सनल लोन ने मात्रा और मूल्य दोनों में असुरक्षित सेगमेंट पर अपना दबदबा बनाए रखा। कुल मिलाकर, पर्सनल लोन और गोल्ड लोन दोनों ही उच्च टिकट साइज की ओर बढ़ रहे हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में क्रेडिट कार्ड वितरण में गिरावट देखी गई, जिसमें क्रेडिट कार्ड सोर्सिंग में तिमाही आधार पर 2 प्रतिशत की कमी आई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने होम और गोल्ड लोन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने एलएपी और यूज्ड कार लोन सेगमेंट में अपनी उपस्थिति मजबूत की।

Point of View

इसमें सतर्कता भी आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह वृद्धि स्थायी है।
NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत में क्रेडिट डिमांड में वृद्धि का क्या कारण है?
भारत में क्रेडिट डिमांड में वृद्धि के पीछे डिजिटलीकरण, उपभोक्ता आकांक्षाएँ और मजबूत वित्तीय अवसंरचना जैसे कारक हैं।
कुल एयूएम कितने रुपए हैं?
मार्च 2025 तक भारत का कुल एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए है।
क्या सुरक्षित ऋणों में वृद्धि हो रही है?
हाँ, सुरक्षित ऋणों का योगदान कुल ऋणों में 32 प्रतिशत है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
क्रेडिट कार्ड वितरण में गिरावट क्यों आई?
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में क्रेडिट कार्ड वितरण में 2 प्रतिशत की कमी आई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक किस क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं?
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक होम और गोल्ड लोन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।