क्या भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल का ध्यान स्पीड से हटकर सिस्टम की मजबूती पर केंद्रित है?

सारांश
Key Takeaways
- 500 गीगावाट का लक्ष्य 2030 तक
- ग्रिड इंटीग्रेशन और एनर्जी स्टोरेज पर जोर
- 15-25 गीगावाट नई रिन्यूएबल क्षमता का वार्षिक जोड़
- सिस्टम की मजबूती पर ध्यान
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का विकास
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने बुधवार को जो जानकारी साझा की है, उसके अनुसार, भारत की रिन्यूएबल एनर्जी पहल अब क्षमता में तीव्र वृद्धि से हटकर एक मजबूत, डिस्पेचेबल और इंटीग्रेटेड सिस्टम के निर्माण पर केंद्रित है।
एक आधिकारिक बयान में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत अपने रिन्यूएबल एनर्जी ट्रांजिशन में केवल क्षमता में वृद्धि पर ध्यान नहीं दे रहा है, बल्कि प्रणाली की मजबूती पर भी जोर दे रहा है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा है कि देश के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की परिभाषा अब इसकी मजबूती, स्थिरता और गहराई से होगी।
मंत्रालय के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता पांच गुना से अधिक बढ़कर 35 गीगावाट से 197 गीगावाट से अधिक हो गई है और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
बयान में कहा गया है, "हम अब ग्रिड इंटीग्रेशन, एनर्जी स्टोरेज और बाजार सुधारों पर काम कर रहे हैं, जो 500 गीगावाट से अधिक के गैर-जीवाश्म भविष्य की वास्तविक नींव हैं।"
40 गीगावाट से अधिक की आवंटित परियोजनाएं बिजली खरीद समझौतों (पीपीए), बिजली आपूर्ति समझौतों (पीएसए) या ट्रांसमिशन अरेंजमेंट के पूरा होने के करीब हैं।
हाल ही में, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने क्रमशः 5.6 गीगावाट और 3.5 गीगावाट के टेंडर दिए हैं। इसके अतिरिक्त, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा 2025 में लगभग 6 गीगावाट जोड़ने का अनुमान है।
इस प्रकार, रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता वृद्धि कई माध्यमों से हो रही है।
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद सालाना 15-25 गीगावाट नई रिन्यूएबल क्षमता जोड़ता है, जो दुनिया में सबसे तेज दरों में से एक है।
इसके अलावा, जीएसटी स्ट्रक्चर और एएलएमएम प्रावधानों का पुनर्निर्धारण लागतों को स्थिर करने, मॉड्यूल विश्वसनीयता बढ़ाने और भारत के मैच्योर होते सोलर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में पैमाने की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
भारत के ग्रिड को 500 गीगावाट के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपए की ट्रांसमिशन योजना के माध्यम से पुनर्परिभाषित किया जा रहा है, जो रिन्यूएबल समृद्ध राज्यों को मांग केंद्रों से जोड़ेगा।
रिलीज में कहा गया है कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और नई उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनें 200 गीगावाट से अधिक क्षमता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।