क्या देश की साक्षरता दर 80.9 प्रतिशत पर पहुँच गई? हिमाचल बना पूर्ण साक्षर राज्य

सारांश
Key Takeaways
- हिमाचल प्रदेश ने पूर्ण साक्षरता की उपलब्धि हासिल की है।
- देश की साक्षरता दर अब 80.9 प्रतिशत है।
- साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है।
- डिजिटल साक्षरता और वित्तीय जागरूकता महत्वपूर्ण हैं।
- स्वयंसेवक और शिक्षार्थी इस साक्षरता आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में साक्षरता की दर में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। खास तौर पर पिछले 11 वर्षों में साक्षरता दर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। इसका मतलब यह है कि देश में साक्षर और पढ़े-लिखे व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है और अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश ने पूर्ण साक्षरता की उपलब्धि हासिल की है। हिमाचल प्रदेश अब देश का पाँचवाँ राज्य है जिसने पूर्ण साक्षरता प्राप्त की है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, हिमाचल प्रदेश ने पूर्ण कार्यात्मक साक्षरता हासिल की है। यह त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और लद्दाख के बाद अब पाँचवाँ पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है।
उल्लेखनीय है कि लद्दाख जून 2024 में पहला पूर्ण साक्षर केंद्रशासित क्षेत्र घोषित हुआ था। सोमवार को शिक्षा मंत्रालय ने नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 का आयोजन किया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गरिमा, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का माध्यम है। उन्होंने बताया कि भारत की साक्षरता दर 2011 की 74 प्रतिशत से बढ़कर 2023–24 में 80.9 प्रतिशत हो गई है।
गौरतलब है कि 1 से 8 सितंबर तक उल्लास साक्षरता सप्ताह 2025 का आयोजन किया गया, जिसके तहत देशव्यापी पंजीकरण अभियान चलाया गया। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि ‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ से 3 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 42 लाख स्वयंसेवक जुड़े हैं। इनमें से 1.83 करोड़ शिक्षार्थियों ने आकलन परीक्षा दी, जिसमें 90 प्रतिशत को सफलता मिली। उन्होंने युवाओं और विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे भी इस साक्षरता आंदोलन में जुड़ें और इसे शैक्षणिक क्रेडिट से जोड़ा जाए।
वहीं शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्यों ने साक्षरता हासिल कर एक मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा कि भारत ने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए शिक्षा और समावेशन को तेज गति दी है। साक्षरता की नई परिभाषा में डिजिटल साक्षरता, वित्तीय जागरूकता और नागरिक अधिकारों की समझ को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने तीन प्राथमिकताएं रेखांकित कीं: पहली स्वयंसेवा की भावना को बनाए रखना, दूसरी साक्षरता को कौशल और आजीविका से जोड़ना व तीसरी साक्षरता की परिभाषा का निरंतर विस्तार करना। यहाँ लद्दाख और गोवा के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव भी साझा किए।