क्या भारत-मलेशिया का आतंकवाद-रोधी अभ्यास हरिमाऊ शक्ति 2025 सफल रहा?
सारांश
Key Takeaways
- हरिमाऊ शक्ति 2025 का सफल समापन।
- हेलीबोर्न इन्सर्शन तकनीक का उपयोग।
- संयुक्त युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए अभ्यास।
- क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत और मलेशिया की साझेदारी।
- आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण पर जोर।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और मलेशिया की सेनाएँ ने संयुक्त सैन्य अभ्यास हरिमाऊ शक्ति 2025 के अंतर्गत उन्नत सामरिक युद्धाभ्यास का सफल समापन किया है। इस महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास में हेलीबोर्न इन्सर्शन तकनीक और वास्तविक युद्ध परिस्थितियों के अनुरूप प्रशिक्षण दिया गया।
इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय सेना और मलेशियाई सशस्त्र बलों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी, ऑपरेशनल समन्वय और संयुक्त युद्ध क्षमता को सुदृढ़ करना था। यह अभ्यास हरिमाऊ शक्ति 2025 का पाँचवाँ संस्करण था, जो शुक्रवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
दो सप्ताह तक चले इस अभ्यास के समापन समारोह का आयोजन राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया। इस दौरान संयुक्त अभियान क्षमता पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों सेनाओं ने संयुक्त सामरिक अभ्यास किया, जिसमें काउंटर-इंसर्जेंसी और काउंटर-टेररिज्म के आधुनिक सिद्धांतों का आदान-प्रदान हुआ।
अभ्यास के दौरान, भारतीय और मलेशियाई सैनिकों ने संयुक्त पेट्रोलिंग रिहर्सल किया। इसके साथ ही, बदलती परिस्थितियों में त्वरित निर्णय-क्षमता और ऑपरेशनल एकजुटता को बढ़ाने पर चर्चा की गई। छोटे दस्तों की आक्रामक क्षमता को बढ़ाने के लिए घात सिद्धांतों पर सत्र आयोजित किए गए।
इस सैन्य अभ्यास में दोनों सेनाओं के जवानों ने जटिल इलाकों में हेलीकॉप्टर से रस्सी के सहारे उतरकर दुश्मन पर काबू पाया। हेलीकॉप्टर से जुड़े युद्धाभ्यास में घने और सीमित भू-भाग में संचालन के लिए आवश्यक हेलीबोर्न इन्सर्शन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। इसमें घात लगाने का अभ्यास, हेलीकॉप्टर स्लाइडिंग प्रदर्शन, लाइव फायरिंग, और सुचारु संयुक्त पेट्रोलिंग जैसे प्रगतिशील मॉड्यूल्स शामिल थे।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभ्यास न केवल भारत-मलेशिया रक्षा सहयोग की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी का भी सशक्त प्रमाण है। आतंकवाद-रोधी अभियानों में संयुक्त क्षमता में वृद्धि हुई है।
अभ्यास के दौरान भारतीय और मलेशियाई सैनिकों ने अर्ध-शहरी और शहरी इलाकों में आतंकवाद-रोधी कार्रवाई की संयुक्त रणनीतियों का अभ्यास किया। यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं की क्षमता, प्रतिक्रिया कौशल और समन्वय को बढ़ाने के साथ-साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और रक्षा सहयोग के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जा रहा है।
अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने यह संदेश दिया कि क्षेत्रीय सुरक्षा के बदलते स्वरूप में भारत और मलेशिया मिलकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।