क्या भारत ने कुष्ठ रोग पर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है?

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क्या भारत ने कुष्ठ रोग पर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है?

सारांश

भारत ने कुष्ठ रोग के मामलों में अभूतपूर्व कमी की है। 44 वर्षों में प्रति 10,000 जनसंख्या पर फैलाव में 99 प्रतिशत की कमी आई है। यह सफलता न केवल स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है, बल्कि यह सरकारी प्रयासों की भी पुष्टि करती है। इस लेख में जानें यह कैसे संभव हुआ।

Key Takeaways

  • 44 वर्षों में कुष्ठ रोग के मामलों में 99 प्रतिशत की कमी आई है।
  • 98 प्रतिशत उपचाराधीन मामलों में गिरावट आई है।
  • कुष्ठ रोग का उपचार मल्टीड्रग थेरेपी से किया जाता है।
  • कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए एनएलईपी कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • कुष्ठ रोग के मामलों में गिरावट के लिए सरकारी योजनाएँ महत्वपूर्ण हैं।

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने कुष्ठ रोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। पिछले 44 वर्षों में प्रति 10,000 जनसंख्या पर इस बीमारी के फैलाव में 99 प्रतिशत की कमी आई है। उपचाराधीन मामलों में 98 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह जानकारी सरकार ने साझा की है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2025 तक भारत में प्रति 10,000 जनसंख्या पर कुष्ठ रोग के मरीजों की संख्या 0.57 फीसदी होगी। इसके अतिरिक्त, 82 हजार मरीज उपचाराधीन होंगे। 1981 में, देश में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 57.2 फीसदी लोग इस बीमारी से प्रभावित थे और 39.19 लाख मरीज इलाज करवा रहे थे।

इस प्रकार, पिछले चार दशकों में इस बीमारी ने बहुत कम लोगों को प्रभावित किया है।

मार्च 2006 में यह पहली बार रिपोर्ट किया गया था कि कुष्ठ रोग का प्रसार 10,000 जनसंख्या पर 1 फीसदी से कम हो गया है। उस समय यह आंकड़ा 0.84 फीसदी था। इसके बाद से देश में नए मामलों में 37 प्रतिशत की कमी आई है।

कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो कि माइकोबैक्टीरियम लेप्राई नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इसके मुख्य लक्षणों में त्वचा पर रंग का बदलना, छूने या दर्द का अहसास न होना, मांसपेशियों की कमजोरी और अंगों पर विकृतियाँ शामिल हैं। यह बीमारी नाक और मुंह से निकलने वाले बूंदों के माध्यम से फैलती है, खासकर जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहता है।

सरकार ने बताया कि इस बीमारी से निपटने के लिए 1983 में एक नई दवा पद्धति शुरू की गई, जिसे मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) कहा जाता है। इस दवा में रिफाम्पिसिन, क्लोफाजिमिन और डैप्सोन शामिल हैं। एमडीटी की सहायता से बीमारी का जल्दी पता लगाया जा सकता है, जिससे मरीजों को विकृतियों से बचाया जा सके।

कुष्ठ रोग को राष्ट्रीय स्तर पर खत्म करने के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित होता है। इस योजना के तहत मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है और दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। इसके साथ ही, समय-समय पर इलाज के नए तरीके अपनाए जाते हैं और समुदाय में जागरूकता बढ़ाई जाती है।

सरकार ने बताया, ''एनएलईपी कार्यक्रम की सफलता राजनीतिक इच्छाशक्ति, निरंतर प्रयास, मुफ्त और समय पर दवाओं की उपलब्धता, वैश्विक दिशा-निर्देशों को अपनाने, नए इलाज के तरीकों को अपनाने और समुदाय की भागीदारी के कारण संभव हुई है।''

बयान में आगे कहा गया, ''मार्च 2025 तक, भारत के 31 राज्य और 638 जिले ऐसे हैं जहां कुष्ठ रोग का प्रसार 10,000 लोगों पर एक फीसदी से कम है। अब बाकी राज्यों और जिलों में भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम चल रहा है।''

कुष्ठ रोग की जांच को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे आयुष्मान भारत योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) और किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के अंतर्गत भी शामिल किया गया है। इससे बच्चों और वयस्कों दोनों की नियमित जांच की जा रही है।

आने वाले वर्षों में एनएलईपी 2023-2027 की रणनीतिक योजना के साथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2021-2030 रोडमैप के अंतर्गत 2030 तक कुष्ठ रोग के संक्रमण को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में काम करेगा।

सरकार ने कहा, ''भारत के इस लक्ष्य के करीब पहुंचने के साथ, इसे हासिल करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, पर्याप्त धनराशि और जनता की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होगी।''

Point of View

वह न केवल हमारे लिए गर्व का विषय हैं, बल्कि यह दिखाता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और लोगों की सहभागिता होती है, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
NationPress
06/10/2025

Frequently Asked Questions

कुष्ठ रोग क्या है?
कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्राई बैक्टीरिया के कारण होती है।
भारत में कुष्ठ रोग के मामलों में कमी कैसे आई?
सरकार की योजनाओं, नई दवाओं और जागरूकता कार्यक्रमों के कारण मामलों में कमी आई है।
कुष्ठ रोग का उपचार कैसे किया जाता है?
कुष्ठ रोग का उपचार मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) से किया जाता है।
एनएलईपी क्या है?
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) भारत में कुष्ठ रोग को खत्म करने के लिए चलाया जा रहा है।
कुष्ठ रोग के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षणों में त्वचा पर रंग का बदलना, दर्द का अहसास न होना और अंगों में विकृतियाँ शामिल हैं।