क्या भारत में 50 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 4 हजार ही हो रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भारत में 50 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
- वर्तमान में केवल 4 हजार ट्रांसप्लांट हो रहे हैं।
- अंगदान दर बहुत कम है, प्रति 10 लाख में एक से भी कम।
- उत्तराखंड में बहु अंग प्रत्यारोपण केंद्र की आवश्यकता है।
- स्पेन के अंगदान मॉडल से सीखने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में प्रतिवर्ष 50 हजार से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, लेकिन इस स्थिति के बावजूद देश में केवल चार हजार लिवर ट्रांसप्लांट ही हो पा रहे हैं। यह स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत की गई।
भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने सदन को बताया कि देश में मानव अंग प्रत्यारोपण की भारी कमी है। उन्होंने नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के आंकड़ों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में प्रतिवर्ष करीब दो लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। इसके मुकाबले, देश में प्रतिवर्ष केवल 15 से 18 हजार गुर्दा प्रत्यारोपण ही किए जा रहे हैं।
आंकड़ों का हवाला देते हुए नरेश बंसल ने बताया कि मौजूदा आवश्यकताओं के मुकाबले देश में मानव अंग प्रत्यारोपण की सुविधा काफी कम है। राज्यसभा में विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि गुर्दा प्रत्यारोपण की भी भारी मांग है। प्रतिवर्ष करीब 2 लाख लोगों को गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। डायबिटीज की बीमारी में कई बार पैंक्रियाज का प्रत्यारोपण ही अंतिम और प्रभावी उपचार होता है।
उन्होंने इंटेस्टाइन प्रत्यारोपण का भी जिक्र किया। आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया गया कि इंटेस्टाइन प्रत्यारोपण की मांग भी काफी है, लेकिन हमारे देश में अंगदान की दर बहुत कम है। प्रति 10 लाख लोगों में एक व्यक्ति से भी कम अंगदान की दर है। उत्तराखंड जैसे राज्यों में तो यह दर लगभग नगण्य है। हालांकि, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अंगदान करने वालों की संख्या अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो स्पेन विश्व में अंगदान करने वाले देशों में सबसे आगे है। वहां वर्ष 2024 में 52.6 लोगों ने प्रति मिलियन की दर से अंगदान किया है। यह सफलता स्पेनिश मॉडल के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बहु अंग प्रत्यारोपण शल्य चिकित्सा केंद्र की स्थापना एम्स के अंतर्गत की जानी चाहिए। यह न केवल ऐसे लोगों की सहायता करेगा जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता है, बल्कि यह उन लोगों को भी सम्मान देता है जिन्होंने या फिर जिनके परिजनों ने अंगदान का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि अंग विफलता देश में एक सामान्य समस्या बनती जा रही है। अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता देश में लगातार बढ़ती जा रही है। अंग प्रत्यारोपण सेवाओं की मांग देश में उपलब्ध क्षमता से काफी कम है। उन्होंने यहां उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं का भी उल्लेख किया और उत्तराखंड में मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी सेंटर खोले जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उत्तराखंड में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए यह कदम उठाया जाना आवश्यक है।