क्या भारत ने इस वर्ष अप्रैल से अगस्त में कुल 27 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने 27 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी।
- 20 गीगावाट अगस्त तक स्थापित की गई।
- 142 गीगावाट क्षमता निर्माणाधीन है।
- इनोवेटिव टेंडर से ऊर्जा भंडारण की लागत कम हो रही है।
- बिजली की मांग अगले महीने बढ़ने की संभावना है।
नई दिल्ली, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित करने का अभियान तेजी से प्रगति कर रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में कुल 27 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी गई है।
एचएसबीसी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इनमें से अगस्त तक 20 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित की गई। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) के अनुसार, 142 गीगावाट क्षमता विभिन्न चरणों में निर्माणाधीन है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य-स्तरीय ट्रांसमिशन लाइनों के कमीशनिंग में धीरे-धीरे प्रगति होने से, रिन्यूएबल प्रोजेक्ट की स्थापना में भी तेजी आने की संभावना है।
हाल के मर्जर और अधिग्रहण और रिन्यूएबल डेवलपर्स की संभावित लिस्टिंग से कमीशनिंग को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इनोवेटिव टेंडर से ऊर्जा भंडारण की लागत कम हो रही है, जिससे रिन्यूएबल पावर की स्वीकार्यता बढ़ेगी।"
रिपोर्ट के अनुसार, सोलर प्लस एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की लागत अब रिकॉर्ड स्तर पर कम हो गई है। हाल ही में सोलर प्लस स्टोरेज टेंडर में टैरिफ 2.7-2.76 रुपए/किलावाट प्रति घंटा दर्ज किया गया।
शर्तों के अनुसार, डेवलपर्स को सौर ऊर्जा के समय के अलावा, पीक समय में दो घंटे और सुबह के पीक समय में दो घंटे के लिए बिजली और भंडारण उपलब्ध कराना होगा।
हालांकि टैरिफ से लाभप्रदता पर चिंता बनी हुई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर पर बचत, भूमि अधिग्रहण का कम जोखिम और सुबह के पीक समय में मुफ्त बिजली से डेवलपर्स को सामान्य रिटर्न मिल सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले दो वर्षों में 90 गीगावाट से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी नीलामी की और इसका एक बड़ा हिस्सा बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) में हस्ताक्षरित नहीं हुआ है। इससे डेवलपर्स और निवेशकों को इन लेटर ऑफ अवार्ड के मूल्य के बारे में अनिश्चितता होती है।
भारत ने 11.4 गीगावाट के रिन्यूएबल टेंडर रद्द कर दिए हैं, जिनमें कम भागीदारी या अधिक टैरिफ थे। इससे कुछ पुराने टेंडर भी रद्द हो सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बिजली की कुल मांग अगले महीने बढ़ेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, "इस महीने बिजली की मांग पहले ही सितंबर 2023 की तुलना में अधिक है। मौसम के पूर्वानुमान, कड़ाके की ठंड की संभावना और औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित तेजी को देखते हुए, अक्टूबर के आखिर या नवंबर की शुरुआत में बिजली की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है।"