क्या देश में 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, 20.33 करोड़ स्वीकृत हुए?
सारांश
Key Takeaways
- 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं।
- 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर को स्वीकृति मिली है।
- स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को रियल टाइम डेटा प्रदान करते हैं।
- आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट मीटरिंग हो रही है।
- प्रीपेड मीटरिंग से बिलिंग दक्षता में सुधार होगा।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में यह जानकारी साझा की कि देश में राज्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर को स्वीकृति मिली है और अब तक 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर स्थापित किए जा चुके हैं।
विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, "पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत राज्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, कई राज्यों ने राज्य योजनाओं या बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के अंतर्गत स्मार्ट मीटर स्थापित किए हैं। अब तक देश में विभिन्न योजनाओं के तहत 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।"
आरडीएसएस के तहत स्मार्ट मीटरिंग का कार्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से टोटेक्स (अर्थात् कुल व्यय, जिसमें पूंजीगत व्यय और परिचालन व्यय शामिल हैं) मोड में किया जा रहा है। एडवांस्ड मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर (एएमआईएसपी) मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति, रखरखाव और स्थापना के बाद उसके संचालन के लिए जिम्मेदार है।
स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को उनके ऊर्जा उपयोग का रियल टाइम डेटा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मरों सहित सिस्टम और उपभोक्ता स्तर पर स्मार्ट मीटरों से उत्पन्न डेटा ऊर्जा उपयोग के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है और इसका उपयोग वितरण उपयोगिता द्वारा ऊर्जा ऑडिट करने के लिए किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की ओर बदलाव से उपभोक्ताओं के लिए बेहतर बजटिंग और उपयोगिता के लिए बेहतर नकदी प्रवाह और बिलिंग दक्षता संभव हो सकेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबस्टेशन और ग्रिड स्तर पर निगरानी में विश्वसनीयता और दक्षता में सुधार के लिए आईटी प्रणालियों का स्वचालन और एकीकरण आवश्यक है। आरडीएसएस के अंतर्गत एससीएडीए (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण)/डीएमएस (वितरण प्रबंधन प्रणाली) प्रणालियां स्वीकृत की गई हैं, जो दूरस्थ निगरानी और नियंत्रण के माध्यम से कटौती को कम करने और खराबी पर प्रतिक्रिया समय में सुधार करने में मदद करती हैं, जिससे विद्युत वितरण नेटवर्क की दक्षता और विश्वसनीयता में सुधार होता है।