क्या भारत–थाईलैंड सैन्य अभ्यास बंधकों की मुक्ति में सहायक है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और थाईलैंड की सेनाओं के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूती मिल रही है।
- बंदूक और उपकरणों का साझा अनुभव।
- जटिल परिदृश्य में सैन्य हस्तक्षेप का अभ्यास।
- क्षेत्रीय शांति और स्थिरता का सुनिश्चित करना।
- सैन्य प्रशिक्षण के साथ खेलकूद गतिविधियों का आयोजन।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) क्या भारत और थाईलैंड की सेनाएं मिलकर एक नया अध्याय लिख रही हैं? इनकी संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मैत्री’ मेघालय के उमरोई में पूर्ण उत्साह और ऊर्जा के साथ चल रहा है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य जटिल परिदृश्य में बस को अपहरणकर्ताओं से मुक्त कराना है। बंधकों की मुक्ति के लिए सैन्य हस्तक्षेप अभियान अंजाम दिए जा रहे हैं।
दोनों देशों की सेनाएँ आतंकियों के कब्जे वाले ठिकानों में प्रवेश कर खतरों को समाप्त करने का अभ्यास भी कर रही हैं। जवान रॉक क्राफ्ट ट्रेनिंग में लगे हुए हैं, जिसमें दुर्गम स्थानों पर चढ़ाई का अभ्यास किया जा रहा है। जंगल सर्वाइवल ड्रिल्स में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में जीवित रहने और संचालन की क्षमता को बढ़ाने के गुर सिखाए जा रहे हैं।
इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के अंतर्गत दोनों सेनाओं की अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना है। इसके माध्यम से दोनों देशों की सेनाएं आपसी समझ और संयुक्त अभियानों की दक्षता को भी मजबूत कर रही हैं। भारतीय सेना के अनुसार यह अभ्यास 14 सितंबर 2025 तक जारी रहेगा। यह केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं है, बल्कि भारत और थाईलैंड के बीच सुदृढ़ रक्षा सहयोग और दीर्घकालिक सामरिक साझेदारी का प्रतीक भी है।
मेघालय में दोनों सेनाएं कंधे से कंधा मिलाकर प्रशिक्षण ले रही हैं और एक-दूसरे की संचालनात्मक तकनीक, अनुभव और अभ्यासों से सीख रही हैं। अब तक यहां कई महत्वपूर्ण गतिविधियां संपन्न हो चुकी हैं। भारत और थाईलैंड की सेना ने यहां कॉम्बैट कंडीशनिंग – शारीरिक सहनशक्ति और युद्धक तैयारी को मजबूत करने के लिए एक बेहद कठोर प्रशिक्षण किया है। जवानों ने अभ्यास के दौरान हथियार और उपकरणों का परिचय साझा किया।
भारतीय थलसेना की इन्फैंट्री बटालियन की परिचालन शैली का परिचय दिया गया। निकट युद्ध या आमने-सामने की युद्धक तकनीकों पर काम करते हुए विशेष मार्शल आर्ट्स के सत्र आयोजित किए गए हैं। अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संयुक्त कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन व इससे जुड़े अभियानों का प्रशिक्षण किया जा रहा है, साथ ही सर्च एंड डेस्ट्रॉय मिशन को भी अंजाम दिया गया है। यह मिशन आतंकवादी खतरों को निष्प्रभावी करने के लिए था।
उन्नत फायरिंग अभ्यास में जवानों ने दोनों हाथों से निशाना साधने का प्रशिक्षण लिया। स्नाइपर की सटीक ट्रेनिंग भी दोनों देशों के जवानों को दी जा रही है। ऐसे माहौल का निर्माण किया गया है जैसा कि उच्च जोखिम वाले अभियानों में होता है। ऐसे उच्च जोखिम वाले स्थानों से त्वरित प्रवेश और निकासी का सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। सैन्य प्रशिक्षण के साथ-साथ विभिन्न खेलकूद गतिविधियां भी आयोजित की गई हैं, जिनका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच मित्रता, टीम भावना और आपसी सम्मान को बढ़ाना है।
अभ्यास मैत्री ने भारतीय थलसेना और रॉयल थाई आर्मी को एक अनूठा मंच प्रदान किया है, जिसके माध्यम से वे पेशेवर संबंधों को मजबूत कर रहे हैं और रणनीतिक ज्ञान का आदान–प्रदान कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र जनादेश के अंतर्गत आतंकवाद-रोधी अभियानों में समन्वय बढ़ा है। इस अभ्यास के माध्यम से भारत और थाईलैंड ने एक बार फिर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, जो दोनों देशों की सैन्य–सैन्य सहयोग और सामरिक साझेदारी को और गहराई प्रदान करता है।