क्या भारत आने वाले दशकों में वैश्विक उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है?

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क्या भारत आने वाले दशकों में वैश्विक उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है?

सारांश

भारत की संभावनाएं उज्ज्वल हैं! एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले दशकों में वैश्विक उत्पादन में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी प्राप्त कर सकता है। जानिए क्यों यह संभव है और इसके पीछे के प्रमुख कारक क्या हैं।

Key Takeaways

  • भारत की जनसंख्या वृद्धि वैश्विक उत्पादन में योगदान करेगी।
  • स्थिर नीतियों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
  • उद्यमिता और तकनीकी प्रगति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • बाजार मूल्यांकन में वृद्धि होगी।
  • सप्लाई चेन में सुधार आवश्यक है।

नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत आने वाले दशकों में वैश्विक उत्पादन में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी प्राप्त कर सकता है, जो कि मजबूत जनसंख्या वृद्धि, एक कार्यशील लोकतंत्र, वृहद स्थिरता-केंद्रित नीतियों, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्यमी वर्ग और सामाजिक परिणामों जैसे कारकों द्वारा समर्थित है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।

मॉर्गन स्टेनली रिसर्च द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में कहा गया है कि ये सभी तत्व भारत को दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजारों में से एक बना देंगे, ऊर्जा परिवर्तन को गति देंगे, और विनिर्माण क्षेत्र की सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी को बढ़ावा देंगे।

सकल घरेलू उत्पाद में तेल की गहनता को कम करने, बढ़ते निर्यात - विशेष रूप से सेवाओं - और राजकोषीय समेकन से बचत असंतुलन को कम करने की उम्मीद है, जिससे वास्तविक ब्याज दरें संरचनात्मक रूप से कम रह सकती हैं।

मॉर्गन स्टेनली ने यह भी कहा कि आपूर्ति पक्ष में सुधार और लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण द्वारा समर्थित कम मुद्रास्फीति अस्थिरता, ब्याज दरों और विकास में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद करेगी।

उच्च वृद्धि, कम अस्थिरता और गिरती ब्याज दरों का यह मिश्रण उच्च बाजार मूल्यांकन को बढ़ावा देता है और परिवारों को अपनी बचत का अधिक हिस्सा इक्विटी में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है।

हालांकि, निकट भविष्य में मार्केट रिटर्न विकास चक्र में विश्वास पर निर्भर करेगा, जबकि ब्रोकरेज अपने आउटलुक में आम सहमति से आगे बना हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से आय वृद्धि में आई नरमी समाप्त होती दिख रही है, हालांकि बाजार अभी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हो पाया है।

केंद्रीय बैंक का नरम रुख, वैश्विक विकास परिदृश्य पर स्पष्टता, जीएसटी दर की रेशनलाइजेशन, अमेरिका के साथ अंतिम व्यापार समझौता, अधिक पूंजीगत व्यय घोषणाएं, ऋण वृद्धि में तेजी, बेहतर उच्च-आवृत्ति आर्थिक आंकड़े और चीन के साथ बेहतर व्यापार जैसे कारक कैटलिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं।

जोखिमों में धीमी वैश्विक वृद्धि, भू-राजनीतिक तनाव और रेयर अर्थ तथा उर्वरक जैसी प्रमुख सप्लाई चेन में व्यवधान शामिल हैं।

अपनी पोर्टफोलियो रणनीति में, मॉर्गन स्टेनली रक्षात्मक और बाहरी क्षेत्रों की तुलना में डोमेस्टिक साइक्लिकल सेक्टर को प्राथमिकता देता है और वित्तीय, उपभोक्ता विवेकाधीन और औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक वजन रखता है।

Point of View

हम वैश्विक उत्पादन में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकते हैं। यह हमारे देश के लिए एक सुनहरा अवसर है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत की अर्थव्यवस्था में कौन से कारक महत्वपूर्ण हैं?
भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत जनसंख्या वृद्धि, स्थिरता-केंद्रित नीतियां, और उद्यमिता जैसे कारक महत्वपूर्ण हैं।
भारत को वैश्विक उत्पादन में क्या चुनौतियां हो सकती हैं?
धीमी वैश्विक वृद्धि, भू-राजनीतिक तनाव और सप्लाई चेन में व्यवधान चुनौतियों के रूप में उभर सकते हैं।