क्या भारतीय नौसेना के पोतों ने सिंगापुर यात्रा सफलतापूर्वक की?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय नौसेना ने सफलतापूर्वक सिंगापुर यात्रा की।
- दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ावा दिया गया।
- इस यात्रा में कई पेशेवर कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- यह यात्रा क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना के पोतों ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी परिचालन तैनाती के अंतर्गत सिंगापुर की यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की है। आईएनएस दिल्ली, शक्ति, सतपुड़ा और किलटन जैसे पोतों ने इस यात्रा में भाग लिया और सिंगापुर में सफलतापूर्वक पोर्ट कॉल किया।
भारतीय नौसेना के अनुसार, यह यात्रा दक्षिण-पूर्व एशिया में उनकी परिचालन तैनाती का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन पोतों का नेतृत्व रीयर एडमिरल सुशील मेनन, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट द्वारा किया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं के बीच पिछले तीन दशकों से अधिक समय से सहयोग और समन्वय के मजबूत रिश्ते हैं, जिसमें नियमित यात्राएं और पारस्परिक प्रशिक्षण शामिल हैं।
भारतीय नौसेना की यह तैनाती दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच की गहनता को दर्शाती है। यात्रा के दौरान, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट ने सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी के फ्लीट कमांडर से शिष्टाचार भेंट की। इस बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को सशक्त करने के लिए द्विपक्षीय नौसेनिक संबंधों को बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की गई।
फ्लैग ऑफिसर ने शैक्षणिक समुदाय के साथ भी बातचीत की, जिसमें समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य पर भारतीय नौसेना का दृष्टिकोण साझा किया गया। पूर्वी बेड़े के पोतों के कमांडिंग ऑफिसर्स ने क्रांजी वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को नमन किया।
दोनों नौसेनाओं के बीच पेशेवर आदान-प्रदान कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिसमें क्रॉस-डेक विजिटर्स, विषय विशेषज्ञ वार्तालाप और मैत्रीपूर्ण खेल आयोजनों के माध्यम से सहयोग को और मजबूत किया गया। आईएनएस शक्ति पर आयोजित डेक रिसेप्शन में रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी के अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों, राजनयिक समुदाय के सदस्यों और प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया।
नौसेना का मानना है कि इस आयोजन ने समुद्री साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह यात्रा ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर)’ के दृष्टिकोण के अनुसार भारतीय नौसेना की क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा और समुद्री सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।