क्या जीएसटी सुधारों के बीच भारतीय शेयर बाजार में तेजी बनी रहेगी?

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क्या जीएसटी सुधारों के बीच भारतीय शेयर बाजार में तेजी बनी रहेगी?

सारांश

इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे जीएसटी सुधारों में बदलाव के कारण भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आया और निवेशकों के लिए यह क्या मायने रखता है।

Key Takeaways

  • निफ्टी और सेंसेक्स ने मामूली बढ़त दर्ज की।
  • आईटी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली।
  • जीएसटी रेशनलाइजेशन से घरेलू खपत बढ़ने की उम्मीद है।
  • वाहनों पर जीएसटी की कटौती से ऑटो कंपनियों के शेयरों में तेजी।
  • वैश्विक बाजारों ने सतर्कता का माहौल बनाया।

मुंबई, ६ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी को रेशनलाइज करने की उम्मीदें कम होने और वैश्विक व्यापार तनाव के फिर से उभरने के कारण इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार ने मामूली बढ़त के साथ समापन किया।

बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स ने लगभग ०.८५ प्रतिशत की वृद्धि के साथ सप्ताह का अंत किया, जिसमें मुख्य ध्यान मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर रहा।

आर्थिक अनिश्चितता, उच्च ब्याज दरों और भू-राजनीतिक जोखिमों के चलते विवेकाधीन खर्च में कमी की चिंताओं के बीच निफ्टी आईटी इस सप्ताह २.५ प्रतिशत से अधिक गिर गया।

सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी मेटल और ऑटो सूचकांकों में लगभग १ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि रियल्टी और एफएमसीजी सूचकांक मुनाफावसूली के कारण १.५ प्रतिशत तक गिर गए।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "आईटी सेक्टर के विपरीत, उपभोक्ता-केंद्रित क्षेत्र जैसे ऑटो और एफएमसीजी में तेजी आई, क्योंकि जीएसटी में कटौती से घरेलू खपत बढ़ेगी और मांग में सुधार में मदद मिलेगी।"

उत्साहजनक व्यापक आर्थिक आंकड़े, अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और सकारात्मक वैश्विक संकेतों ने घरेलू शेयर बाजारों को कुछ सहारा दिया। हालांकि, वैश्विक बॉंड मार्केट्स में सतर्कता का माहौल बना हुआ है, जहां यूरोजोन में बढ़ते कर्ज और राजकोषीय असंतुलन के कारण जर्मनी और फ्रांस ३०-ईयर यील्ड दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।

वाहनों पर जीएसटी २८ प्रतिशत से घटाकर १८ प्रतिशत किए जाने के बाद आयशर मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी प्रमुख ऑटो कंपनियों के शेयर २-२ प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। मेटल सेक्टर से संबंधित शेयरों में, जीएमडीसी ११ प्रतिशत उछलकर ५०९ रुपए पर पहुंच गया, जबकि नेशनल एल्युमीनियम और एनएमडीसी में २ प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई।

विश्लेषकों का अनुमान है कि जीएसटी राहत, मजबूत खपत और सरकारी खर्च से घरेलू विकास से जुड़े क्षेत्रों को लाभ होने के कारण बाजार में सेंटीमेंट मिला-जुला रहेगा, जबकि वैश्विक व्यापार वार्ता जोखिम उठाने की क्षमता को सीमित करती रहेगी।

नायर ने कहा, "इस माहौल में मल्टी-एसेट निवेश रणनीति के जोर पकड़ने की उम्मीद है। ट्रेडर्स का ध्यान यूएस जॉब रिपोर्ट पर है, जो एक व्यापक कारक है जो फेड की ब्याज दरों में कटौती को प्रभावित कर सकता है। यूएस नॉनफॉर्म पेरोल्स, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और ईसीबी के ब्याज दरों के फैसले भी इस सप्ताह निवेशकों का मार्गदर्शन करेंगे।"

मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग हाउस के अनुसार, "साप्ताहिक पैमाने पर, निफ्टी ने एक इनसाइड बार पैटर्न बनाकर एक व्यापक दायरे में कंसोलिडेट किया है। २४,५०० और २४,६५० के स्तर पर समर्थन मिल सकता है, लेकिन अब इसे २४,७०० के स्तर से ऊपर बने रहना होगा ताकि २४,८५० और फिर २५,००० के स्तर तक ऊपर की ओर बढ़ सके।"

घरेलू स्तर पर, लगातार विदेशी निकासी ने रुपए पर दबाव डाला, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इस बीच, सुरक्षित निवेश की मांग ने सोने की कीमतों को सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा दिया।

जीएसटी को रेशनलाइज करने से उपभोग को बढ़ावा मिलने, कर प्रणाली को सरल बनाने, अनुपालन बोझ को कम करने और स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ाने की उम्मीद है, जिससे कर आधार का विस्तार होगा।

Point of View

लेकिन वैश्विक व्यापार तनाव के चलते निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। आर्थिक स्थिति की जटिलता को देखते हुए सतर्कता जरूरी है।
NationPress
06/09/2025

Frequently Asked Questions

जीएसटी रेशनलाइजेशन का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ा?
जीएसटी रेशनलाइजेशन के कारण बाजार में कुछ सकारात्मकता आई है, लेकिन अनिश्चितताओं ने निवेशकों को सतर्क रहने पर मजबूर किया है।
क्या निफ्टी और सेंसेक्स में वृद्धि बनी रहेगी?
विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक डेटा और जीएसटी राहत के चलते निफ्टी और सेंसेक्स में वृद्धि की संभावना है।