क्या भोपाल में कश्मीर जैसा नजारा देखने को मिलेगा? बड़े तालाब में शिकारे का शुभारंभ

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क्या भोपाल में कश्मीर जैसा नजारा देखने को मिलेगा? बड़े तालाब में शिकारे का शुभारंभ

सारांश

भोपाल में कश्मीर का अनुभव! बड़े तालाब में शिकारे का शुभारंभ, स्थानीय संस्कृति और स्वाद का आनंद लें।

Key Takeaways

  • भोपाल में शिकारे का शुभारंभ पर्यटकों के लिए एक नया अनुभव होगा।
  • पर्यटन क्षेत्र में मध्य प्रदेश को नई पहचान मिलेगी।
  • शिकारे में बर्ड वॉचिंग की सुविधा उपलब्ध होगी।
  • ये शिकारे प्रदूषण रहित आधुनिक तकनीक से बनाए गए हैं।
  • स्थानीय व्यंजनों और हस्तशिल्प का भी आनंद लिया जा सकेगा।

भोपाल, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आने वाले पर्यटकों के लिए अब कश्मीर का अनुभव करना संभव होगा। बड़े तालाब में अब डल झील की तर्ज पर शिकारे का संचालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बोट क्लब पर एक समारोह में हरी झंडी दिखाकर शिकारे को रवाना किया। राजा भोज तलब के बोट क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने शिकारा नावों का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस नई पहल से पर्यटन के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को एक नई पहचान मिलेगी और यहां आने वाले पर्यटक पूरी तरह से आनंदित हो सकेंगे। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार सहित भाजपा और कांग्रेस के कई अन्य नेता भी उपस्थित रहे।

प्रदेश में पर्यटन विकास के नए आयाम स्थापित करते हुए पर्यटन सुविधाओं का निरंतर विस्तार किया जा रहा है। भोपाल के बड़े तालाब में कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील की तर्ज पर शिकारे चलाने की यह अनूठी पहल की गई है। यह पहल न केवल प्रदेश के जल-पर्यटन को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देगी, बल्कि पर्यटकों को प्रकृति के बीच सुकून के पल बिताने का एक बेहतरीन अवसर भी प्रदान करेगी।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में जल-पर्यटन (वॉटर टूरिज्म) को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाना है। प्रदेश में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर शिकारे चलाए जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इन सभी 20 शिकारे का निर्माण प्रदूषण रहित आधुनिक तकनीक से किया गया है। इनका निर्माण 'फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन' और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से किया गया है, जो जल के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक क्रिया नहीं करती।

इससे बड़े तालाब की पारिस्थितिकी और जल की शुद्धता पूर्णतः सुरक्षित रहेगी। बताया गया है कि ये शिकारे अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा निर्मित किए गए हैं, जिन्हें पूर्व में केरल, बंगाल और असम में भी पर्यटकों द्वारा अत्यंत पसंद किया गया है। इन शिकारा बोट्स राइड के दौरान पर्यटक बर्ड वाचिंग का आनंद भी ले सकेंगे। इसके लिए शिकारे में दूरबीन की व्यवस्था भी की गई है साथ ही पर्यटक अन्य शिकारे में उपलब्ध आर्गेनिक वेजिटेबल्स और फ्रूट्स और मध्यप्रदेश में निर्मित हस्तशिल्प के उत्पाद भी खरीद सकेंगे, वहीं राइड के दौरान पर्यटक स्थानीय व्यंजन का लुत्फ भी ले सकेंगे।

Point of View

बल्कि यह पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगा। यह पहल प्रदेश के जल-पर्यटन को एक नई पहचान देने का प्रयास है, जो निश्चित ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा प्राप्त करेगा।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

भोपाल में शिकारे का संचालन कब शुरू हुआ?
भोपाल में शिकारे का संचालन 4 दिसंबर को शुरू हुआ।
कौन से मुख्यमंत्री ने शिकारे का शुभारंभ किया?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शिकारे का शुभारंभ किया।
ये शिकारे किस सामग्री से बने हैं?
ये शिकारे फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन से बने हैं।
क्या शिकारे में बर्ड वॉचिंग की सुविधा है?
हाँ, शिकारे में बर्ड वॉचिंग की सुविधा उपलब्ध है।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य जल-पर्यटन को नई पहचान दिलाना है।
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