क्या भोपाल में स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सार्थक ऐप के विरोध में ज्ञापन सौंपा?
सारांश
Key Takeaways
- सार्थक ऐप का विरोध स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा किया गया है।
- कर्मचारी संघ ने लंबित वेतन की मांग की है।
- सरकार ने निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
- कर्मचारी 1 जनवरी से ऐप का उपयोग शुरू करने का आश्वासन दिया है।
- यह मुद्दा स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव डाल सकता है।
भोपाल, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में न्यू बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ (मध्य प्रदेश) ने सार्थक ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने की सरकारी अनिवार्यता का विरोध किया। संघ ने इस मुद्दे पर क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाओं को एक ज्ञापन सौंपा।
कर्मचारियों का कहना है कि उनकी सेवाएं फील्ड वर्क और अनिवार्य सेवाओं पर निर्भर हैं, जिसके कारण जीपीएस आधारित सार्थक ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर पाना उनके लिए संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि जिन कर्मचारियों ने सार्थक ऐप से उपस्थिति नहीं लगाई, उनका अक्टूबर महीने का वेतन भी अब तक जारी नहीं हुआ है।
संघ के सदस्यों ने लंबित वेतन जारी करने की मांग की है और यह लिखित आश्वासन दिया है कि वे 1 जनवरी से सार्थक ऐप का उपयोग शुरू करेंगे। यदि इसके बाद भी वे ऐप से उपस्थिति दर्ज नहीं करते हैं, तो उनकी सैलरी रोक दी जाए।
संघ ने क्षेत्रीय संचालक को बताया कि उनकी सेवाएं अनिवार्य सेवाओं के अंतर्गत आती हैं, जिनके लिए कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं होता। यदि सरकार 9 बजे से 5 बजे तक का समय निर्धारित करती है, तो वे बाकी समय में अनिवार्य सेवाएं नहीं दे पाएंगे। उनका तर्क है कि फील्ड कर्मचारी विभिन्न स्थानों पर जाकर काम करते हैं, जिससे एक ही जगह से उपस्थिति दर्ज करना कठिन होता है।
ज्ञात हो कि सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर नहीं पहुंच रहे हैं, जिसके कारण जीपीएस-संचालित सार्थक ऐप को शुरू किया गया था।
क्षेत्रीय संचालक ने संघ का ज्ञापन स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है और वे ऐप का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम आप लोगों की बात मानते हैं, इसके लिए कुछ उपाय निकाला जाएगा, लेकिन सरकार के आदेशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कर्मचारी संघ ने अपनी बात को मध्य प्रदेश सरकार तक पहुंचाने के लिए दो महीने का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि वे सरकार के निर्णय के बाद ही आगे की गतिविधियों को तय करेंगे।