क्या सिंगर बी प्राक ने कथावाचक इंद्रेश महाराज के साथ डांडिया करते हुए जिंदगी का बेहतरीन अनुभव किया?

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क्या सिंगर बी प्राक ने कथावाचक इंद्रेश महाराज के साथ डांडिया करते हुए जिंदगी का बेहतरीन अनुभव किया?

सारांश

सिंगर बी प्राक का अध्यात्म की ओर झुकाव और इंद्रेश महाराज के साथ डांडिया खेलने का अनुभव वास्तव में अद्वितीय है। उनकी भक्ति और संगीत का संगम एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। इस लेख में जानें उनके अनुभव और भावनाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • अध्यात्म के प्रति झुकाव
  • भक्ति और संगीत का संगम
  • दुखों से उबरने का प्रयास
  • संतों का मार्गदर्शन
  • सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन का संतुलन

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाबी संगीत जगत और बॉलीवुड में अपनी आवाज के जादू से फैंस का दिल जीतने वाले गायक बी प्राक का झुकाव पिछले कुछ समय से अध्यात्म की ओर बढ़ा है।

गायक को कथावाचक इंद्रेश महाराज, प्रेमानंद महाराज और वृंदावन में समय बिताते हुए देखा गया है। हाल ही में, उन्हें भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होकर डांडिया खेलते हुए देखा गया। बी प्राक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपनी 'स्टोरी सेक्शन' को अपडेट किया है, जिसमें वे इंद्रेश महाराज के साथ भक्ति के रस में डूबे नजर आ रहे हैं।

यह कथा का आयोजन चंडीगढ़ में हुआ, जहां गायक और इंद्रेश महाराज स्टेज पर हाथ में डांडिया लेकर 'बरसाने की छोरी' गाने पर भक्तों के साथ थिरक रहे हैं। वीडियो में इंद्रेश महाराज गाना भी गा रहे हैं और भक्त उनके साथ 'राधा रानी' के जयकारे लगा रहे हैं। गायक ने कैप्शन में लिखा, "ये दिव्य क्षण हमेशा मेरे दिल पर अंकित रहेंगे, जिंदगी का सबसे बेहतरीन अनुभव महसूस किया है।"

गायक बी प्राक और इंद्रेश महाराज ने एक साथ कई गाने गाए हैं, जिनमें 'राधा गोरी-गोरी', 'प्यारो वृंदावन', और 'राधिका दुलारी' शामिल हैं। ये सभी गाने भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। गायक ने मीडिया के सामने बताया कि साल 2020 और 2021 में उन्होंने कई प्रियजनों को खोया और उस गहरे दुख से उबरने के लिए मथुरा-वृंदावन का सहारा लिया। उन्होंने कहा, "संतों से बातचीत करने के बाद मुझे भगवान के असली खेल को समझने में मदद मिली।"

गायक ने बताया कि उन्होंने अपने तीन दिन के बच्चे को खोया और अपनी पत्नी से इस बारे में छिपाया। उसी वर्ष उनके पिता और चाचा भी नहीं रहे। इन्हीं दुखों ने उन्हें भक्ति की ओर अग्रसर कर दिया है। बी प्राक अक्सर प्रेमानंद महाराज की शरण में देखे जाते हैं। उन्होंने महाराज से अपने बच्चे की मौत से उबरने का उपाय भी पूछा था। महाराज ने जवाब दिया, "जन्म-मरण सब निश्चित होता है...वह सिर्फ अपना कर्म भोगने के लिए आया है।"

Point of View

बल्कि यह दिखाता है कि कैसे संगीत और भक्ति एक व्यक्ति को सशक्त बना सकते हैं। उनके दुःख और संघर्ष ने उन्हें अध्यात्म की ओर अग्रसर किया है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन के कठिन समय में भी हम कैसे आशा और प्रेरणा पा सकते हैं।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

बी प्राक का अध्यात्म की ओर झुकाव कब शुरू हुआ?
बी प्राक का अध्यात्म की ओर झुकाव पिछले कुछ समय से बढ़ा है, खासकर जब उन्होंने अपने प्रियजनों को खोया।
बी प्राक ने इंद्रेश महाराज के साथ कौन सा गाना गाया?
बी प्राक ने इंद्रेश महाराज के साथ 'बरसाने की छोरी' गाना गाया।
क्या बी प्राक ने अपने दुःख को साझा किया?
हाँ, बी प्राक ने अपने दुःख को साझा किया है और बताया है कि कैसे उन्हें मथुरा-वृंदावन से सहायता मिली।