क्या बिहार चुनाव 2025 में मढ़ौरा की राजनीतिक विरासत और धार्मिक स्थलों का प्रभाव पड़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक विरासत मजबूत है।
- यहाँ के धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र हैं।
- औद्योगिक गतिविधियों ने क्षेत्र को पहचान दिलाई है।
- मढ़ौरा की ऐतिहासिक धरोहर पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- बिहार चुनाव 2025 में मढ़ौरा की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
पटना, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सारण जिले का मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध है। राजनीतिक दृष्टिकोण से इसे राजद का परंपरागत गढ़ माना जाता है। मढ़ौरा क्षेत्र न केवल राजनीतिक बल्कि औद्योगिक गतिविधियों के लिए भी चर्चाओं में रहा है।
यदुवंशी राय ने 1995 और 2000 में विधायक बनकर इस क्षेत्र में राजद की नींव को मजबूत किया। उनके निधन के बाद उनके पुत्र जीतेंद्र कुमार राय ने इस विरासत को आगे बढ़ाया। जीतेंद्र ने 2010, 2015 और 2020 में जीत हासिल कर विधायक बने और 2022 में राज्य सरकार में मंत्री भी बनाए गए।
यहां का शिल्हौरी मंदिर, जो शिवपुराण और रामचरितमानस के बालकांड में वर्णित है, धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां देवर्षि नारद का मोहभंग हुआ था। हर शिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है और देशभर से श्रद्धालु बाबा शिलानाथ के दर्शन के लिए आते हैं। यह प्राचीन स्थान मढ़ौरा से 3.5 किमी दूर स्थित है।
इसी क्षेत्र में स्थित है मां गढ़देवी शक्तिपीठ, जो एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मान्यता है कि सती माता के अंगों से रक्त की कुछ बूंदें इस स्थान पर गिरी थीं, जिससे यह शक्ति स्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ। चैत्र और दुर्गा पूजा के समय यहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं।
मढ़ौरा का एक जीर्ण-शीर्ण मध्ययुगीन किला, अपनी प्राचीन वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। माना जाता है कि यह किला एक स्थानीय सरदार का निवास स्थान था, जो शासन और कर संग्रहण का कार्य देखता था।
मढ़ौरा कभी अपनी मशहूर मॉर्टन चॉकलेट फैक्ट्री के लिए देशभर में जाना जाता था। 1929 में सी एंड ई मॉर्टन लिमिटेड द्वारा स्थापित यह फैक्ट्री चॉकलेट, टॉफी और कुकीज बनाती थी और हजारों लोगों को रोजगार देती थी। चीनी मिलों और अन्य कारखानों के साथ मढ़ौरा कभी एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र था, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी और श्रम विवादों के कारण 1997 में यह फैक्ट्री बंद हो गई।
मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र के कारखाने में बने रेल डीजल इंजन विदेशी धरती पर अपनी छाप छोड़ते हैं। रेल इंजन की पहली खेप हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी अफ्रीका के गिनी गणराज्य के लिए भेजी थी। यह सारण जिला ही नहीं, बिहार और पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
देश के इतिहास में यह पहली बार है कि मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया लेबल लगा रेल लोकोमोटिव इंजन विदेशी धरती, विशेष रूप से गिनी गणराज्य की रेल पटरियों पर दौड़ने के लिए भेजा गया। फिलहाल, मढ़ौरा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं।