क्या बिहार चुनाव में महागठबंधन को एनडीए का मुक्का लगेगा? राहुल गांधी की यात्रा पर अजय आलोक का तंज

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की यात्रा का उद्देश्य महागठबंधन को मजबूत करना है।
- अजय आलोक का तंज महागठबंधन की स्थिति पर है।
- बिहार में एनडीए का समर्थन मजबूत है।
- महागठबंधन की सीटें कम रहने की संभावना है।
- प्रमुख राजनीतिक दलों को सहयोग करने की सलाह दी गई है।
रोहतास, १६ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की बिहार यात्रा पर भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन को 'भानुमति का कुनबा' करार देते हुए कहा कि इससे कोई लाभ नहीं होगा। संभावित हार के भय से विपक्षी दलों में बौखलाहट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जनता को भ्रमित करके मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।
अजय आलोक ने यह भी पूछा कि राहुल गांधी की यात्रा का उद्देश्य क्या है। अगर वह सासाराम आ रहे हैं, तो क्या उनकी पार्टी वहां भी 'वोट चोरी' करके जीत हासिल की थी?
भाजपा प्रवक्ता ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि आप पहाड़ को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। बिहार में एनडीए जनता के सहयोग से एक पहाड़ की तरह खड़ा है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी १८ जिलों के ५१ विधानसभा क्षेत्रों से होकर यात्रा करेंगे, लेकिन महागठबंधन की सीटें इससे भी कम आने वाली हैं। महागठबंधन एक तिहाई सीटों पर ही सिमटने वाला है। इस बार भी महागठबंधन को एनडीए का मुक्का (भाजपा, जदयू, लोजपा, हम पार्टी और आरएलएसपी) बहुत तेज पड़ने वाला है।
अजय आलोक ने यह भी कहा कि इस बार २०१० से बेहतर परिणाम होंगे और २०२५ में एनडीए २२५ सीटें जीतने वाला है।
एसआईआर पर बात करते हुए अजय आलोक ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यह पूरी तरह से सही प्रक्रिया है। इससे जनता का सीधा भला होगा। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग को एसआईआर कराने का अधिकार है और राजनीतिक दलों को इसमें सहयोग करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "शाहाबाद में हर व्यक्ति और मोहल्ला अपने वोट के प्रति जागरूक है, लोग सुबह-सुबह लाइन में लग जाते हैं। किसी को किसी दूसरे के लिए वोट देने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसा होता है, तो इससे झड़पें होती हैं। इसलिए, जहां कांग्रेस पहले ही जीत चुकी है, वहां से 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाना, इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है?"