क्या बिहार में एनडीए की जीत ने इरफान अंसारी को सदमे में डाल दिया?
सारांश
Key Takeaways
- एनडीए ने बिहार चुनाव में 202 सीटों पर जीत हासिल की।
- नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
- इरफान अंसारी ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
- विपक्ष को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की आवश्यकता है।
- अल्पसंख्यक समाज की उपेक्षा से परिणाम प्रभावित हुए।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने प्रचंड जीत हासिल की है। नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार और एनडीए की जीत पर कांग्रेस के नेता और झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि वह अब भी सदमे में हैं।
दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिलने पहुंचे इरफान अंसारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "हमें एनडीए को मात देने के लिए ईमानदारी से एकजुट होना होगा। भाजपा में एक से बढ़कर एक तिकड़मबाज हैं। यह हमें बिहार के चुनाव में देखने को मिला। एनडीए ने 202 सीटों पर जीत हासिल की, यह कैसे संभव है? हम अब भी इसी सदमे में हैं कि यह कैसे हुआ। यह असंभव है।"
उन्होंने आगे कहा कि न तो कोई लहर है और न ही जनता आपको चाहती है, इसके बावजूद इतनी सीटें लाना आश्चर्यजनक है। हमें विपक्ष दलों को मिलकर चुनाव लड़ना होगा। मैंने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और उन्होंने मुझे निर्देश दिया कि झारखंड में असदुद्दीन ओवैसी के झांसे में हमारे (अंसारी समाज से जुड़े) युवा न आएं। इसके विकास के लिए जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है। हम सबको लेकर चलने वाले लोग हैं।
जब इरफान अंसारी से इमरान मसूद द्वारा दिए गए बयान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मैं झारखंड से आता हूं, इमरान मसूद को मैं नहीं जानता। बिहार चुनाव के बारे में हमें रिपोर्ट देनी है।" उन्होंने कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ हुई है, इसलिए हम बिहार चुनाव हार गए हैं। एक समान वोट 6 मंत्रियों को कैसे मिल सकता है?
उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा की, तो मल्लाह समाज से जुड़े चेहरे को उपमुख्यमंत्री के लिए आगे किया। अगर अल्पसंख्यक समाज से जुड़े चेहरे को भी घोषित कर दिया होता तो परिणाम और बेहतर होते। इस कारण जनता में आक्रोश था, लोगों ने मुझसे सवाल पूछा था। इसका पूरा फायदा ओवैसी ने उठाया है।