क्या बिहार चुनाव में एनडीए को मिली प्रचंड जीत विकास और सुशासन की जीत है?
सारांश
Key Takeaways
- एनडीए की प्रचंड जीत ने विकास और सुशासन का संकेत दिया है।
- युवाओं और महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला।
- बिहार का विकास अब प्राथमिकता बन चुका है।
- जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है।
- महागठबंधन की स्थिति कमजोर हुई है।
लखनऊ, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की प्रचंड जीत पर देशभर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। उत्तर प्रदेश के भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं ने इस नतीजे को विकास और सुशासन की जीत करार दिया।
राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह एक उत्कृष्ट प्रदर्शन है, और मैं अपने केंद्रीय नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करती हूं।
अपर्णा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ ने न केवल भाजपा बल्कि पूरे एनडीए को दिशा दी है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार टिकट वितरण सोच-समझकर किया गया, जिसमें युवाओं और महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला। अपर्णा ने कहा कि बिहार के युवाओं ने इस बार भरपूर समर्थन दिया है, क्योंकि बिहार रोजगार और विकास चाहता है। एनडीए की सरकार न रहने पर उदासीनता देखने को मिलती थी। बिहार का विकास आज से 50 साल पहले हो जाना चाहिए था।
उन्होंने बिहार की जनता का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्होंने देशहित में एनडीए को समर्थन दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने भी एनडीए की जीत को जनता का भरोसा बताया। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए सरकार की वापसी हुई है। यह जीत बिहार के विकास में लोगों के विश्वास की जीत है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम है।
दानिश ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में सबसे ज्यादा चुनाव हारने का रिकॉर्ड अगर किसी के नाम है, तो वह राहुल गांधी हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन और उसके नेताओं को बार-बार जनता से झटके मिल रहे हैं।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने भी बिहार की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हम बिहार के लोगों को धन्यवाद देते हैं और उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हैं।"
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जो भरोसे का माहौल बनाया है, उसी का परिणाम है कि चुनाव के बाद किसी भी बूथ पर री-पोलिंग नहीं हुई।