क्या बिहार की तुलना 'बीड़ी' से करना सही है? झारखंड के मंत्री ने 65 लाख वोटरों के नाम हटाने का मुद्दा उठाया

सारांश
Key Takeaways
- 65 लाख वोटरों के नाम हटाना एक गंभीर मुद्दा है।
- कांग्रेस का 'बीड़ी' बयान भाजपा की मुद्दों की कमी को दर्शाता है।
- राजनीतिक बयानबाजी के पीछे जनता के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है।
- इरफान अंसारी ने जेडीयू और भाजपा पर निशाना साधा है।
- इस मुद्दे का चुनावी नतीजों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
जामताड़ा, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की केरल शाखा द्वारा बिहार की तुलना 'बीड़ी' से करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए इस बयान को तूल दिया जा रहा है।
झारखंड सरकार में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने जेडीयू और भाजपा पर आलोचना करते हुए कहा, "जेडीयू और बीजेपी के पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा कि 65 लाख मतदाताओं के नाम क्यों हटा दिए गए हैं। आप लोग इसे मुद्दा बना रहे हैं, जबकि असली मुद्दा कुछ और है।
उन्होंने कहा कि हमें बिहार के लोगों को इंसाफ दिलाना है। 65 लाख लोगों के वोटर लिस्ट से नाम काट दिए गए, आधार कार्ड से नाम हटा दिए गए, और बैंक खातों से नाम भी हटा दिया गया। आम बिहारियों का पैसा लूट लिया गया, यह असली मुद्दा है। जेडीयू को समझा देना चाहिए कि इरफान अंसारी ने ये बातें कहीं हैं।
इरफान अंसारी ने जेडीयू से मांग की कि जल्द से जल्द 65 लाख वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में फिर से जोड़ा जाए। गरीब, दलित, आदिवासी और मुसलमानों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। लोकसभा में यही वोट महत्वपूर्ण थे, अब विधानसभा में यह क्यों नहीं है?
जीएसटी घटाने के मुद्दे पर इरफान अंसारी ने कहा कि केंद्र सरकार राहुल गांधी के दबाव में यह सभी काम कर रही है, चाहे वह जातिगत जनगणना हो, जीएसटी घटाने की बात हो, या अन्य मुद्दे जिनका भाजपा शुरू से विरोध करती रही है।
उन्होंने कहा कि अब इन सभी मुद्दों पर भाजपा काम कर रही है; यह राहुल गांधी की जीत है। अब जब भाजपा ने जीएसटी से लोगों को लूट लिया, तो इसका क्या फायदा?