क्या बिहार की कानून-व्यवस्था पर चुप रहना 14 करोड़ लोगों के साथ अन्याय है? : राजेश वर्मा

Click to start listening
क्या बिहार की कानून-व्यवस्था पर चुप रहना 14 करोड़ लोगों के साथ अन्याय है? : राजेश वर्मा

सारांश

क्या बिहार की कानून-व्यवस्था पर चुप रहना 14 करोड़ लोगों के साथ अन्याय है? लोजपा सांसद राजेश वर्मा ने चिंता व्यक्त की है कि असुरक्षा का माहौल बढ़ रहा है। उन्हें लगता है कि इसे सख्त कदम उठाकर सुधारने की आवश्यकता है। जानें उनके विचारों के पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है।
  • राजेश वर्मा ने ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • असुरक्षाबोध बढ़ रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में।
  • उद्योगपतियों के लिए निवेश का माहौल सुधारने की जरूरत है।
  • इंडी अलायंस में एकजुटता की कमी है।

नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की कानून-व्यवस्था को लेकर लोजपा (रामविलास) सांसद राजेश वर्मा ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हम एनडीए के साथ हैं और एक ईमानदार पार्टी होने के नाते बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर चुप रहना 14 करोड़ बिहारवासियों के साथ अन्याय होगा।

शनिवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान लोजपा सांसद ने कहा कि बिहार में व्यापारी, ग्रामीण और आम लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। हाल में हुई आपराधिक घटनाओं जैसे गोपाल खेमका, विक्रम झा, और बालू कारोबारी की हत्याओं, साथ ही केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को मिली धमकी से यह स्पष्ट है कि अपराधी बेखौफ हो चुके हैं।

वर्मा ने बिहार में यूपी मॉडल लागू करने की वकालत की, जिसमें अपराधियों में भय पैदा करना आवश्यक है। उनका तर्क है कि जब तक प्रशासन और पुलिस सख्ती नहीं दिखाएंगे, कानून-व्यवस्था में सुधार मुश्किल है। इसके अभाव में उद्योगपति बिहार में निवेश से हिचकेंगे, जिससे प्रदेश का विकास प्रभावित होगा।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार और प्रशासन को कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो और प्रदेश में निवेश का माहौल बने।

उन्हें कहना था कि ग्रामीण इलाकों से अपराध का रिकॉर्ड निकाला जाए तो सभी हैरान हो जाएंगे। जरूरी है कि कानून-व्यवस्था पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाए।

इंडी अलायंस पर तंज कसते हुए लोजपा सांसद ने कहा कि पप्पू यादव को बिहार बंद के मंच से अलग रखा गया, ताकि वह "बिहार का चेहरा" न बन जाएं। इसी तरह से बिहार का कोई युवा बिहार का चेहरा न बन जाए। कन्हैया कुमार को भी अलग रखा गया। यह दिखाता है कि इंडी अलायंस एकजुट नहीं है, बस स्वार्थ की पूर्ति के लिए एक साथ हैं। तेजस्वी यादव का परिवार चाहता है कि कैसे भी सत्ता में वापसी की जाए। इसके अलावा इंडी अलायंस का कोई मकसद नहीं है। जहां तक बात है वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की तो चुनाव आयोग अपना काम कर रहा है। आरोप-प्रत्यारोप करना विपक्षी दलों की पुरानी आदत है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार की कानून-व्यवस्था पर उठाए गए सवाल न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रशासन को जनता का विश्वास बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति क्या है?
बिहार में हाल के समय में अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
राजेश वर्मा ने क्या सुझाव दिए हैं?
राजेश वर्मा ने यूपी मॉडल को लागू करने की बात कही है, जिसमें अपराधियों में भय पैदा करने की आवश्यकता है।