क्या बिहार की महिलाएं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से आत्मनिर्भर बन रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- पीएमएमएसवाई महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- मत्स्य पालन से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
- यह योजना ग्रामीण विकास को बढ़ावा देती है।
- लाभार्थियों को सरकारी सहायता प्राप्त होती है।
- महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
शेखपुरा, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के शेखपुरा की महिलाएं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का सहारा लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक है। इसी दिशा में, शेखपुरा नगर परिषद के कमासी गांव की महिलाएं मत्स्य पालन करके अपने जीवन का संचालन कर रही हैं। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।
गांव की लाभार्थी राजमणि देवी ने बताया कि पीएमएमएसवाई के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने आवेदन किया था। उनका कहना है कि यह योजना बहुत लाभकारी है और वे इस योजना के तहत आत्मनिर्भर हो गई हैं। उन्होंने एक बीघा में फैले तालाब में मछली पालन कर अपना जीवन यापन करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे मछलियों को बिहार के बाहर अन्य राज्यों में भेजती हैं। सरकार ने इस योजना के अंतर्गत छूट भी प्रदान की है।
राजमणि देवी ने साझा किया कि उनके पति का निधन 1988 में हुआ था, जिसके बाद उन्हें बच्चों का पालन-पोषण करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस योजना से लाभ मिलने के बाद उनकी स्थिति में सुधार आया है। उन्होंने अन्य लोगों से भी इस योजना का लाभ उठाने की अपील की।
लाभार्थी ने बताया कि पीएमएमएसवाई बेरोजगारों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। यदि इस योजना का लाभ लेने वाले मेहनत करें, तो वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और एक बेहतर जीवन जी सकते हैं। पहले, खाली पड़ी ज़मीन पर उपज अच्छी नहीं होती थी, लेकिन तालाब बनाकर मछली पालन करने से अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
जिला मत्स्य पदाधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि जिले में पीएमएमएसवाई के माध्यम से 100 से अधिक किसान रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इस योजना से मत्स्य पालन में वृद्धि हुई है और इससे लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।