क्या बिहार मतदाता सूची का पुनरीक्षण लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर रहा है? : एमए बेबी

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क्या बिहार मतदाता सूची का पुनरीक्षण लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर रहा है? : एमए बेबी

सारांश

बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। एम.ए. बेबी ने चेताया है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। क्या यह बिहार के लाखों मतदाताओं के अधिकारों को खतरे में डाल सकता है?

Key Takeaways

  • बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण चल रहा है।
  • इससे लाखों लोगों के मताधिकार पर सवाल उठ सकते हैं।
  • सीपीआई (एम) नेता एम.ए. बेबी ने चेतावनी दी है।
  • अन्य राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर आंदोलन की योजना बना रहे हैं।
  • यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर सकती है।

नई दिल्ली, ५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की मतदाता सूचियों के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण' ने एक महत्वपूर्ण राजनीतिक चर्चा को जन्म दिया है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया में सीपीआई (एम) के नेता एम.ए. बेबी ने शुक्रवार को कहा कि यह लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर रहा है।

एम.ए. बेबी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि बिहार की जनता के पास पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र हैं। चुनाव आयोग को ये पहचान पत्र स्वीकार्य नहीं हैं। इसलिए, चुनाव आयोग का यह कदम अत्यधिक संदिग्ध है, क्योंकि इस प्रक्रिया के माध्यम से बहुत से लोगों को उनके मताधिकार से वंचित किया जाएगा। सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक महीने का समय मुश्किल से ही पर्याप्त है। अब यह समझा जा रहा है कि बिहार में लगभग तीन करोड़ लोगों के मताधिकार पर सवाल उठेंगे, इसलिए यह वास्तव में लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को प्रभावित कर रहा है। हमारी पार्टी अन्य राजनीतिक दलों के संपर्क में है, आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन हो सकता है। अन्य राज्यों में भी यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी। हम चुनाव आयोग के दृष्टिकोण के खिलाफ हैं।

एआईएमआईएम के महागठबंधन में शामिल होने को लेकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को लिखे गए पत्र पर उन्होंने कहा कि महागठबंधन और ‘इंडिया’ ब्लॉक का विस्तार होना चाहिए, लेकिन यह एक प्रक्रिया के तहत ही हो सकता है। अब इस पत्र के माध्यम से जो सवाल उठाया जा रहा है, उस पर भी हम चर्चा करेंगे।

कांवड़ यात्रा के मुद्दों पर आरएसएस की बैठक के सवाल पर एम.ए. बेबी ने कहा कि लोगों को इस यात्रा को सहजता से मनाने का अधिकार है, लेकिन समस्या यह है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से और इस यात्रा से जुड़े कुछ अन्य स्थानों से भी ऐसी खबरें आ रही हैं कि पुलिस और प्रशासन दुकानदारों से मालिक का नाम लिखने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी धार्मिक पहचान हो सके। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों ने दुकानदारों को निशाना बनाया। यह संवैधानिक समझ के खिलाफ है कि सभी नागरिकों को अपने जीवन, स्वतंत्रता और अपने स्थान की सुरक्षा का समान अधिकार है। यही वह सवाल है, जिस पर खतरा मंडरा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं उम्मीद करता हूं कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के प्रशासनिक कार्यालयों और पुलिस कार्यालयों से उन लोगों की मदद की जाएगी, जो चाहते हैं कि लोग इस यात्रा में शामिल हों।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार की मतदाता सूची का पुनरीक्षण न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि पूरे देश की चुनावी प्रक्रिया पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। यह आवश्यक है कि चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करे कि सभी मतदाता बिना किसी बाधा के अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण क्यों हो रहा है?
बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण इसलिए हो रहा है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी पात्र मतदाता सही और अद्यतन जानकारी के साथ सूचीबद्ध हों।
क्या यह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरा है?
हां, कुछ नेताओं का मानना है कि यह प्रक्रिया लाखों लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर सकती है, जो लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया के लिए खतरा है।
क्या अन्य राज्यों में भी ऐसी प्रक्रिया होगी?
हां, यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो अन्य राज्यों में भी इसी तरह के संशोधन किए जा सकते हैं।
क्या राजनीतिक दल इस प्रक्रिया के खिलाफ हैं?
जी हां, कई राजनीतिक दल इस प्रक्रिया के खिलाफ हैं और आंदोलन की योजना बना रहे हैं।
कौन-कौन से पहचान पत्र स्वीकार्य हैं?
बिहार की जनता के पास पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटर कार्ड जैसे पहचान पत्र हैं, लेकिन चुनाव आयोग इन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है।