क्या बिहार में छठ पर्व की तैयारियां पूरी हो गई हैं?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार में छठ पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं।
- गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
- व्रति के अनुभव को सुखद बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
- छठ पर्व में 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है।
- यह पर्व सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
पटना, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन, सोमवार की शाम, छठ व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तैयार हैं। इस अवसर पर पटना समेत राज्य के सभी क्षेत्रों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। महापर्व छठ के तहत, बिहार के शहरों, कस्बों और गांवों के लोग सूर्योपासना में श्रद्धा के साथ डूबे हुए हैं।
व्रतधारी छठ घाट पर पहुंचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए मोहल्लों की गलियों से लेकर पक्की सड़कों तक युवा और बच्चे झाड़ू लगा रहे हैं और उस पर पानी का छिड़काव कर रहे हैं। पटना जिले में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के लगभग 550 घाट तैयार किए गए हैं, जहां छठ व्रति पूजा कर सकें। इसके अलावा, पार्क और तालाबों में भी छठ मनाया जा रहा है।
जिला प्रशासन के अनुसार, पटना नगर निगम क्षेत्र में गंगा किनारे के लगभग 102 घाट और करीब 45 पार्क तथा 63 तालाब को छठ व्रतियों के अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सजाया गया है। सभी अनुमंडलों में अनुमंडल पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी छठ घाटों पर नागरिक सुविधाएं सुनिश्चित कर रहे हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर भीड़-प्रबंधन के लिए सभी जगह तैयारी की गई है। जिला स्तर पर 205 स्थानों पर दण्डाधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की गई है। गंगा नदी और अन्य जलाशयों में किसी तरह के आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ की नौ और एसडीआरएफ की 14 टीमों को तैनात किया गया है। इसके अलावा, गोताखोरों की भी टीम तैयार है।
बताया गया है कि मोटर बोट के माध्यम से रिवर पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है। कुल 18 नदी गश्ती दल तैनात किए गए हैं, जिनमें 10 रिवर फ्रंट-घाट गश्ती और 3 स्पीड बोट गश्ती शामिल हैं। व्रति के अनुभव को सुखद बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
बिहार के गांवों से लेकर शहरी मोहल्लों तक, लोक गीतों और पारंपरिक प्रसादों की खुशबू के बीच लोग सूर्य भगवान की आराधना में मग्न हैं। पटना की सभी सड़कें रंग-बिरंगी दूधिया रोशनी और आकर्षक तोरण-द्वारों से सजाई गई हैं, जबकि गंगा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। रविवार की शाम व्रतियों ने खरना किया और लोग देर रात तक व्रतियों के घर प्रसाद पाने के लिए पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि शनिवार को नहाय-खाय से प्रारंभ इस चार दिवसीय अनुष्ठान में खरना के बाद व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगे। सोमवार की शाम व्रति नदी, तालाबों और अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन, मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त होगा। इसके बाद, व्रति फिर अन्न-जल ग्रहण कर पारण करेंगे।