क्या बिहार में 'डॉग बाबू' का निवास प्रमाण पत्र बनाना सही है?

सारांश
Key Takeaways
- 'डॉग बाबू' का निवास प्रमाण पत्र विवाद में नया मोड़।
- तेजस्वी यादव ने सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए।
- बिहार में भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर।
पटना, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी अंचल द्वारा 'डॉग बाबू' के नाम से निवास प्रमाण पत्र जारी करने पर चर्चा जोरों पर है। इस मामले के उजागर होने के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि राज्य में शासन कैसे चल रहा है।
सोमवार को अररिया में एक प्रेस वार्ता में, उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर भी टिप्पणी की और कहा कि इससे लोग यह समझ सकते हैं कि यह कार्य कितना 'गहन' हुआ है। उन्होंने भ्रष्टाचार पर भी चर्चा की और कहा कि यहां बिना पैसे के कोई दस्तावेज नहीं बनता है। 'डॉग बाबू' ने भी कुछ दिया होगा।
उन्होंने कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार में अपराधी 'विजय' और 'सम्राट' बन चुके हैं। लॉ एंड ऑर्डर का 'क्रिमिनल डिसऑर्डर' हो चुका है। बिहार की हालत बहुत खराब है। मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं। एम्बुलेंस में सामूहिक दुष्कर्म हो रहे हैं, अस्पताल में, दुकान में घुसकर गोलियां मारी जा रही हैं। डबल इंजन की सरकार में एक भ्रष्टाचार में और एक अपराध में लगी हुई है।
सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में 71 हजार करोड़ रुपये का घोटाला इस सरकार ने किया है। यह कोई मामूली बात नहीं है, यह बड़ी रकम है। इस राशि का कोई हिसाब नहीं दिया गया है। मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर मौन हैं।
तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर जन्म प्रमाण पत्र में धांधली करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में ये 26 साल के थे और 2010 में 28 साल के हो गए। यही नहीं, 2020 में ये 51 साल के हो गए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिंदगी में ऐसा इंसान नहीं देखा जो अपनी उम्र बढ़ाता भी हो और घटाता भी हो।
उप मुख्यमंत्री पर उन्होंने शैक्षणिक प्रमाणपत्र को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि ऐसा फर्जीवाड़ा करने वाले लोग हम ही लोगों को गाली देने का काम करते हैं। उप मुख्यमंत्री को बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए।