क्या बिहार में फर्जी पटना मेट्रो इंटरव्यू रैकेट का भंडाफोड़ हुआ?

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क्या बिहार में फर्जी पटना मेट्रो इंटरव्यू रैकेट का भंडाफोड़ हुआ?

सारांश

पटना मेट्रो में नौकरी दिलाने का झूठा वादा करने वाले फर्जी इंटरव्यू रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस रैकेट के तहत बेरोजगार युवाओं से लाखों रुपये की ठगी की गई। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया, और जांच जारी है। जानें इस धोखाधड़ी के पीछे का पूरा सच।

Key Takeaways

  • पटना पुलिस ने फर्जी इंटरव्यू रैकेट का भंडाफोड़ किया।
  • तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
  • युवाओं से लाखों रुपये की ठगी हुई।
  • पुलिस ने नकली दस्तावेज बरामद किए हैं।
  • सरकारी नौकरी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें।

पटना, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक अधिकारी ने बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पटना पुलिस ने एक फर्जी इंटरव्यू रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो पटना मेट्रो में नौकरी दिलाने का झूठा वादा करके बेरोजगार युवाओं को धोखा दे रहा था।

खास जानकारी मिलने पर, जक्कनपुर पुलिस ने विग्रहपुर इलाके में छापा मारा, जहां एक फर्जी ऑफिस संचालित हो रहा था।

जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि आरोपी ने एक फर्जी ऑफिस स्थापित किया था और नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं को नकली इंटरव्यू के लिए बुला रहा था।

पीड़ितों को झूठा आश्वासन दिया गया कि उनका चयन हो जाएगा और उनसे एप्लीकेशन फीस, प्रोसेसिंग चार्ज और अन्य रकम वसूली गई।

पैसे लेने के बाद, आरोपी लंबे समय तक उम्मीदवारों को नौकरी दिलाने के झूठे वादे करके गुमराह करते रहे।

जानकारी की पुष्टि के बाद, एक पुलिस टीम ने मंगलवार को इस रैकेट में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया।

आरोपियों की पहचान सहरसा के निवासी नवीन कुमार, पटना के दानापुर निवासी अखिलेश कुमार सिंह और नवादा के निवासी अखिलेश चौधरी के रूप में हुई है।

छापेमारी के दौरान, पुलिस ने नकली भर्ती से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज, कागजात और सामान बरामद किए, जिससे धोखाधड़ी के ऑपरेशन की पुष्टि हुई।

पटना के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (सदर), अभिनव कुमार ने कहा, "पटना मेट्रो भर्ती के नाम पर हो रही धोखाधड़ी की जानकारी मिलने के बाद तुरंत कार्रवाई की गई। तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। बरामद दस्तावेजों के आधार पर, गैंग के काम करने के तरीके की विस्तृत जांच चल रही है, और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जाएगी, और उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

पुलिस के अनुसार, आरोपी ट्रेनिंग के लिए हर उम्मीदवार से 50,000 से 60,000 रुपये की मांग कर रहे थे। उन्होंने धोखाधड़ी वाली गतिविधियों से लगभग 8 लाख रुपये जमा किए हैं।

पुलिस ने नौकरी की तलाश करने वालों को सलाह दी है कि वे सरकारी और पब्लिक सेक्टर की नौकरियों के लिए केवल अधिकृत वेबसाइटों, विज्ञापनों और सही भर्ती प्रक्रियाओं पर भरोसा करें।

उन्होंने लोगों से यह भी आग्रह किया कि वे किसी भी अनधिकृत ऑफिस, नकली इंटरव्यू या पैसे की मांग के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें ताकि धोखेबाजों के खिलाफ समय पर कार्रवाई की जा सके।

Point of View

यह घटना हमारे समाज में बढ़ती धोखाधड़ी के मामलों को उजागर करती है। युवा वर्ग को रोजगार पाने की उम्मीद में ऐसे रैकेट के जाल में फंसना चिंता का विषय है। सरकारी निकायों को ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी युवा को इस तरह की ठगी का सामना न करना पड़े।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

पटना मेट्रो भर्ती रैकेट की सच्चाई क्या है?
पटना पुलिस ने एक फर्जी भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो बेरोजगार युवाओं को झूठे वादों पर ठग रहा था।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान क्या है?
आरोपियों में नवीन कुमार, अखिलेश कुमार सिंह और अखिलेश चौधरी शामिल हैं।
पुलिस ने क्या कार्रवाई की है?
पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।
युवाओं को क्या सलाह दी गई है?
युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करने की सलाह दी गई है।
धोखाधड़ी के इस रैकेट से कितनी ठगी हुई है?
आरोपियों ने लगभग 8 लाख रुपये की ठगी की है।
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