क्या बिहार में जमीन बंटवारे की प्रक्रिया होगी आसान?
सारांश
Key Takeaways
- नया दाखिल-खारिज पोर्टल भूमि बंटवारे की प्रक्रिया को सरल बनाएगा।
- सभी हिस्सेदारों के लिए एक ही दाखिल से काम होगा।
- मौखिक बंटवारे से विवाद को रोका जाएगा।
- सरकार भूमि विवादों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- यह प्रणाली समय बचाएगी और प्रक्रिया को तेज करेगी।
पटना, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य में भूमि सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि शनिवार से बिहार में जमीन बंटवारे का नया दाखिल-खारिज पोर्टल लागू किया जा रहा है, जो आम जनता के लिए बड़ी राहत प्रदान करेगा।
यह पहल 'सुशासन से समृद्धि की ओर-विकसित बिहार, विकसित भारत' के संकल्प को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से है।
डिप्टी सीएम ने कहा कि डबल इंजन की सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार को विकसित राज्य बनाने में लगी हुई है। इसी क्रम में बंटवारा दाखिल-खारिज पोर्टल की शुरुआत की गई है, जिससे अब जमीन का बंटवारा पहले से कहीं ज्यादा आसान, पारदर्शी और तेज हो जाएगा।
विजय सिन्हा ने बताया कि पहले जमीन के बंटवारे के बाद हर हिस्सेदार को अलग-अलग दाखिल खारिज कराना पड़ता था। यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली थी, जिससे आम लोगों को कठिनाई होती थी और विवाद भी उत्पन्न हो जाते थे।
उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे एक ही दाखिल खारिज के जरिए सभी हिस्सेदारों के नाम उनकी-उनकी जमीन की जमाबंदी कायम की जा सके।
डिप्टी सीएम ने कहा कि मुख्य सचिव सीके अनिल के नेतृत्व में विभागीय टीम ने तेजी से काम किया है। उन्हें खुशी है कि बहुत कम समय में यह नई प्रणाली लागू कर दी गई है।
विजय सिन्हा ने जनता से अपील की कि जिन परिवारों में अब तक मौखिक बंटवारा हुआ है, वे इस सुविधा का लाभ उठाकर अपनी जमीन का कानूनी दस्तावेजीकरण जरूर कराएं।
उन्होंने कहा कि मौखिक बंटवारा आगे चलकर पारिवारिक भूमि विवाद का कारण बन सकता है, जिससे लोग सरकारी योजनाओं और सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में दलाल और बिचौलिए फायदा उठाते हैं और यह विवाद अदालतों तक पहुंच जाते हैं, जिससे न्यायालयों पर मुकदमों का भारी बोझ बढ़ता है।
डिप्टी सीएम ने बताया कि अगस्त-सितंबर में चले राजस्व महाअभियान के दौरान करीब 46 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 40 लाख से अधिक आवेदन पारिवारिक भूमि विवाद और बंटवारे से संबंधित थे। इससे यह स्पष्ट है कि समस्या कितनी गंभीर है।
विजय सिन्हा ने कहा कि दाखिल खारिज, परिमार्जन प्लस और नापी जैसी प्रक्रियाओं को विभाग ने प्राथमिकता दी है। यदि इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो बिहार में भूमि विवाद, आपसी रंजिश, वैमनस्य, और फर्जी दस्तावेजों से उत्पन्न सामाजिक तनाव काफी हद तक समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग इस पहल को भटकाने और इसका गलत अर्थ निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार आम जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति पूरी ईमानदारी से प्रतिबद्ध है।
डिप्टी सीएम ने जनता से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार को भूमि विवाद से मुक्त और सुशासित राज्य बनाने का प्रयास जारी रहेगा।