क्या बिहार के पूर्व आईपीएस जयप्रकाश सिंह और अभिनेता रितेश पांडेय जन सुराज में शामिल हुए?

सारांश
Key Takeaways
- रितेश पांडेय और जयप्रकाश सिंह ने जन सुराज में शामिल होकर नई राजनीति की शुरुआत की।
- जन सुराज बिहार के विकास के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण रखता है।
- जयप्रकाश सिंह का पुलिस सेवा में अनुभव उनके राजनीतिक करियर में सहायक हो सकता है।
- रितेश पांडेय ने बिहार के लोगों के रोजगार की जरूरत पर जोर दिया।
- प्रशांत किशोर का नेतृत्व जन सुराज को नई दिशा दे सकता है।
पटना, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भोजपुरी फिल्म उद्योग के मशहूर अभिनेता और गायक रितेश पांडेय तथा पूर्व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जयप्रकाश सिंह ने शुक्रवार को जन सुराज में शामिल होकर अपनी नई यात्रा की शुरुआत की है।
इन दोनों को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने पार्टी में शामिल होने का अवसर दिया और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जन सुराज उन लोगों को प्राथमिकता देती है जो अपने संघर्ष से बिहार का नाम रोशन करते हैं। आज शामिल हुए दोनों बिहार के ऐसे बेटे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से एक अलग मुकाम हासिल किया है।
जयप्रकाश सिंह ने बताया कि वे भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके हैं और हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अब सक्रिय राजनीति में कदम रखा है। वे बिहार के सारण जिले के निवासी हैं।
जन सुराज में शामिल होने के बाद, जयप्रकाश सिंह ने कहा कि उनके पिताजी किसान थे। आईपीएस बनने से पहले, उन्होंने सेना और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में लगभग 12 वर्षों तक सेवा दी। उन्होंने कहा कि जब से जन सुराज अभियान की शुरुआत हुई, तभी से वे इस पर ध्यान दे रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जन सुराज बिहार के विकास के प्रति संकल्पित है और इसका एक स्पष्ट दृष्टिकोण है।
उन्होंने कहा, "मुझे लगा कि बिहार के लिए एक नई व्यवस्था बन रही है, जिसका बिहार के प्रति अलग दृष्टिकोण है। ऐसे में मुझे अपने समाज और प्रदेश के लिए योगदान देने की इच्छा हुई और मैंने नौकरी छोड़ दी। यह निर्णय आसान नहीं था।" इस दौरान उन्होंने जन सुराज के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
अभिनेता रितेश पांडेय ने जन सुराज की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा कि वे प्रशांत किशोर के विचारों से प्रेरित होकर इस पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अन्य राज्यों में कैसे अपमान झेलते हैं, यह उन्होंने खुद अनुभव किया है। अब हम सबको मिलकर एक नया बिहार बनाना है जहाँ रोजगार उपलब्ध हो।