क्या बिहार में एसआईआर से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर याचिकाओं पर सुनवाई टाली।
- चुनाव आयोग को पारदर्शिता से कार्य करने की आवश्यकता है।
- प्रशांत भूषण ने गुमराह करने के आरोप लगाए।
- मतदाता सूची में 65 लाख नाम हटाए गए हैं।
- अदालत ने आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई को 4 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। इस दौरान अदालत में चुनाव आयोग और एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के वकील प्रशांत भूषण के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने प्रशांत भूषण पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अदालत को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं और दस्तावेजों में हेराफेरी और गलत बयानों का सहारा ले रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने जवाब में कहा कि उन्होंने जो नाम अदालत में प्रस्तुत किए थे, वे ड्राफ्ट मतदाता सूची में मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने के बावजूद कई नए नाम गुपचुप तरीके से डिलीट किए हैं, लेकिन अब तक इन नामों का पूरा ब्योरा और कारणों सहित सूची सार्वजनिक नहीं की गई है।
भूषण ने अदालत से मांग की कि आयोग को हर उस नाम की विस्तृत जानकारी देनी चाहिए, जिसका नाम सूची से हटाया गया है और उसका कारण बताना चाहिए। यह सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से अपलोड की जानी चाहिए।
चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, "अभी अंतिम सूची जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 17 अक्टूबर है और दूसरे चरण के लिए 20 अक्टूबर। इसलिए मतदाता सूची को इन तारीखों तक फ्रीज किया जाएगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि आयोग को यह प्रक्रिया स्वयं करनी चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमें कोई संदेह नहीं कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। नाम जोड़ने और हटाने के बाद सूची प्रकाशित करना उसकी संवैधानिक बाध्यता है।"
अदालत ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि उसका जवाबी हलफनामा याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण को सौंपा जाए और भूषण को आदेश दिया कि वे 10 दिनों के भीतर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करें।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की अंतिम मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों और मतदान एजेंटों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
अन्य याचिकाकर्ताओं के वकील, गोपाल शंकरनारायणन और वृंदा ग्रोवर, ने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग के पास एसआईआर जैसी प्रक्रिया चलाने का अधिकार है। इस पर अदालत ने आयोग को लिखित नोट दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि आधार नागरिकता का प्रूफ नहीं है।"