क्या बिहार एसआईआर पर विपक्ष के आरोप सही हैं? सत्ता पक्ष ने कहा- सदन बाधित करने की सोची-समझी योजना

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क्या बिहार एसआईआर पर विपक्ष के आरोप सही हैं? सत्ता पक्ष ने कहा- सदन बाधित करने की सोची-समझी योजना

सारांश

बिहार में मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर विपक्ष ने विरोध किया। क्या यह सदन के संचालन को बाधित करने की सोची-समझी योजना है? जानें विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच की तकरार के पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • बिहार में मतदाता सूची का रिव्यू हो रहा है।
  • विपक्ष का आरोप है कि यह एक सोची-समझी योजना है।
  • संसद के संचालन को बाधित करने का आरोप।
  • सरकार ने कहा कि चर्चा नियमों के अनुसार होनी चाहिए।
  • विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया।

नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के गहन रिव्यू के संबंध में विपक्ष ने मंगलवार को संसद में विरोध-प्रदर्शन किया। राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष चाहता है कि सदन में एसआईआर समेत सभी आवश्यक मुद्दों पर चर्चा हो। सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। लेकिन, सरकार ऐसा नहीं चाहती है।

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार से यह शुरुआत की गई है। लेकिन, यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल, असम समेत पूरे देश में दोहराई जाएगी।

उन्होंने कहा कि गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को इससे सबसे अधिक नुकसान होगा। मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में भी यह बात रखने का प्रयास किया। सदन में राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह बात रखी।

इस पर नेता सदन जेपी नड्डा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि तय नियमों के अनुसार केवल संबंधित विधेयक पर चर्चा की मंजूरी होनी चाहिए। मैंने पहले कहा था कि विपक्ष का व्यवहार संसद के सुचारू संचालन को बाधित करने की एक सोची-समझी योजना है। विपक्ष को एक स्वस्थ लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है। हम पहले ही दिन कहा कि हम किसी भी प्रकार की चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन, वह चर्चा नियमों के दायरे में होनी चाहिए।

जेपी नड्डा ने आसन पर मौजूद डॉ. सस्मित पात्रा के समक्ष यह मांग रखी कि नेता प्रतिपक्ष ने जो बातें कही हैं, वे सदन की कार्यवाही से बाहर की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम अराजकता स्वीकार नहीं करेंगे। संसद नियमों के अनुसार चलेगी। राज्यसभा में हंगामे के कारण 64 घंटे 25 मिनट का समय व्यर्थ हो चुका है। विपक्ष का यह व्यवहार सदन को बंधक बनाने के बराबर है। विपक्ष को चर्चा में कोई रुचि नहीं है।

कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दलों का कहना था कि उन्हें सदन में अपनी बात रखने का समुचित अवसर नहीं मिल रहा है। जब नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के वक्तव्य को राज्यसभा के रिकॉर्ड से निकालने की बात कही गई तो विपक्षी सांसदों ने जमकर विरोध किया। सदन में नारेबाजी के बाद विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया और विपक्षी सांसद सदन से वॉकआउट कर गए।

वहीं, राज्यसभा की कार्यवाही चलती रही। सदन में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक- 2025नेशनल एंटी डोपिंग संशोधन विधेयक- 2025 पेश किया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सदन के भीतर चल रही बहस और विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले, ताकि जनहित के मुद्दे चर्चा में रह सकें।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में मतदाता सूची के रिव्यू का क्या महत्व है?
यह रिव्यू चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करता है और सुनिश्चित करता है कि सभी योग्य मतदाता सही रूप से सूचीबद्ध हैं।
विपक्ष का विरोध क्यों है?
विपक्ष का मानना है कि यह रिव्यू प्रक्रिया राजनीतिक मंशा से प्रेरित है, जिससे गरीब वर्ग को नुकसान होगा।