क्या बिहपुर विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होगी?
सारांश
Key Takeaways
- बिहपुर की भौगोलिक स्थिति और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है।
- वोटिंग पैटर्न में बदलाव से राजनीतिक समीकरण बदलते हैं।
- एनडीए और महागठबंधन दोनों को मतदाता समर्थन की आवश्यकता है।
- बिहार में मतदाता विकास और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- बिहपुर का चुनावी इतिहास विविधता से भरा है।
भागलपुर, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के भागलपुर जिले का बिहपुर विधानसभा क्षेत्र अपनी भौगोलिक और राजनीतिक विशिष्टताओं के लिए प्रसिद्ध है। गंगा, कोसी और बूढ़ी गंडक नदियों से घिरा यह क्षेत्र उपजाऊ भूमि के चलते कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था का मुख्य केंद्र है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से, भागलपुर जिला मुख्यालय से केवल 19 किमी की दूरी पर स्थित बिहपुर, नवगछिया और सुल्तानगंज जैसे कस्बों के निकट है। 1951 में स्थापित, बिहपुर विधानसभा क्षेत्र भागलपुर लोकसभा के अंतर्गत नारायणपुर, बिहपुर और खरीक विकास खंडों को शामिल करता है। यह क्षेत्र के मतदाता विकास की खोज में बार-बार अपने प्रतिनिधियों का चयन बदलते रहे हैं।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो 1952 से अब तक 17 विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी ने प्रारंभिक चरण (1952-1969) में लगातार दो बार जीत नहीं पाई। कांग्रेस (1952, 1962), सीपीआई (1957) और भारतीय जनसंघ (1967) ने बारी-बारी से चुनाव जीते। 1969 से स्थिति बदली, जब सीपीआई (1969-1977), कांग्रेस (1980-1985), जनता दल (1990-1995) और राजद (2000-2005) ने लगातार जीत हासिल की। हाल के वर्षों में, भाजपा ने 2010 और 2020 में जीत दर्ज की, जबकि राजद ने 2015 में जीत हासिल की।
2020 में भाजपा ने राजद को 6,129 वोटों के अंतर से हराया, लेकिन 2010 में यह जीत केवल 465 वोटों से थी। 2015 में राजद ने 12,716 वोटों से जीत हासिल की। 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की सहयोगी जदयू को बिहपुर में केवल 4,855 वोटों की बढ़त मिली, जो यह दर्शाता है कि 2025 में भाजपा के लिए इस सीट को बनाए रखना कठिन होगा।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बिहपुर की कुल जनसंख्या 4,52,608 है, जिसमें 2,36,107 पुरुष और 2,16,501 महिलाएं हैं। कुल मतदाता 2,68,664 हैं, जिनमें 1,41,924 पुरुष, 1,26,718 महिलाएं और 22 थर्ड जेंडर शामिल हैं।
बिहपुर में कृषि, बाढ़ और बेरोजगारी जैसे मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करते हैं। लोगों का मानना है कि जो पार्टी मतदाताओं का विश्वास जीतने और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, उसे बढ़त मिलेगी।