क्या सोनिया गांधी ने मनरेगा पर बुलडोजर चलाने का आरोप लगाया?

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क्या सोनिया गांधी ने मनरेगा पर बुलडोजर चलाने का आरोप लगाया?

सारांश

कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह कानून ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका का सुरक्षा कवच था। जानिए इस विवाद में क्या कहा गया है और इसका ग्रामीण जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

Key Takeaways

  • मनरेगा ग्रामीण रोजगार का एक प्रमुख साधन है।
  • सरकार ने इस कानून के तहत कई बदलाव किए हैं।
  • सोनिया गांधी ने इसे ग्रामीण आजीविका पर हमला बताया।
  • कांग्रेस ने इस मुद्दे पर संघर्ष करने का संकल्प लिया है।
  • कोविड-19 के दौरान मनरेगा ने गरीबों के लिए मदद की।

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखा हमला करते हुए यह आरोप लगाया कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) पर "बुलडोजर" चला रही है और ग्रामीण गरीबों, किसानों और भूमिहीन मजदूरों के अधिकारों को कमजोर कर रही है। इसे उन्होंने ग्रामीण आजीविका पर एक गंभीर हमला बताया।

कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में, सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लगभग दो दशक पहले इस ऐतिहासिक रोजगार गारंटी कानून के पारित होने को याद किया।

उन्होंने कहा कि मनरेगा संसद में व्यापक सहमति से पारित हुआ था और यह एक "क्रांतिकारी कदम" साबित हुआ जिसने करोड़ों ग्रामीण परिवारों, विशेष रूप से सबसे वंचित और हाशिए पर पड़े लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान की।

गांधी ने कहा, "इस कानून ने अपने ही गांव में रोजगार सुनिश्चित करके संकट के समय होने वाले पलायन को रोका, ग्राम पंचायतों को मजबूत किया और काम करने का कानूनी अधिकार दिया।" उन्होंने कहा कि यह योजना महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के विजन का प्रतीक थी।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा गरीबों के लिए जीवन रेखा साबित हुई।

हालांकि, कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पिछले 11 सालों में, मोदी सरकार ने ग्रामीण बेरोजगारों और गरीबों के हितों की अनदेखी करके इस योजना को कमजोर करने के बार-बार प्रयास किए हैं।

उन्होंने कार्यक्रम में हाल ही में किए गए एकतरफा बदलावों पर "गहरा दुख" व्यक्त किया।

सोनिया गांधी ने दावा किया, "बिना किसी सलाह-मशविरे, चर्चा या विपक्ष को विश्वास में लिए बिना, सरकार ने मनरेगा की पूरी संरचना को ही बदल दिया है। यहां तक कि महात्मा गांधी का नाम भी हटा दिया गया है।"

उन्होंने चेतावनी दी कि किसे काम मिलेगा, कितना रोजगार दिया जाएगा और कहां दिया जाएगा, ये फैसले अब "दिल्ली से लिए जा रहे हैं, जो जमीनी हकीकत से बहुत दूर हैं।"

इस बात पर जोर देते हुए कि मनरेगा कभी भी किसी पार्टी विशेष की पहल नहीं थी, सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस ने इस कानून को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसका मकसद हमेशा राष्ट्रीय और सार्वजनिक हित की सेवा करना था। उन्होंने कहा, "इस कानून को कमजोर करके सरकार ने करोड़ों किसानों, मजदूरों और भूमिहीन ग्रामीण गरीबों के अधिकारों पर हमला किया है।"

सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस ग्रामीण आजीविका पर इस हमले का विरोध करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा, "मैंने 20 साल पहले रोजगार गारंटी कानून के लिए लड़ाई लड़ी थी और मैं आज भी इस 'काले कानून' के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हूं।" उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता लोगों के साथ मजबूती से खड़े हैं।

Point of View

क्योंकि यह न केवल राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि ग्रामीण विकास और रोजगार के अधिकारों का भी मामला है। इस विवाद पर समाज के विभिन्न वर्गों की राय जानना आवश्यक है।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

मनरेगा क्या है?
मनरेगा, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
सोनिया गांधी ने किस पर हमला बोला?
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
मनरेगा का महत्व क्या है?
यह कानून ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
क्या मनरेगा में बदलाव किए गए हैं?
सोनिया गांधी ने हाल ही में मनरेगा में किए गए एकतरफा बदलावों पर दुख व्यक्त किया है।
कांग्रेस का क्या कहना है?
कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ इस कानून के कमजोर होने का विरोध करने की बात कही है।
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