क्या छत्तीसगढ़ के बीजापुर में मुठभेड़ में दो नक्सली ढेर हुए?

सारांश
Key Takeaways
- बीजापुर में सुरक्षाबलों ने सफल ऑपरेशन किया।
- दो नक्सली ढेर हुए और कई विस्फोटक बरामद हुए।
- ऑपरेशन अभी भी जारी है।
- सुरक्षा बलों की संख्या और स्थान की जानकारी साझा नहीं की गई।
- यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का केंद्र रहा है।
बीजापुर, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच सघन मुठभेड़ हुई।
इस मुठभेड़ में मारे गए दो नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही, एक राइफल और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की गई है। सुरक्षाबलों का ऑपरेशन अभी भी जारी है।
पुलिस के अनुसार, नक्सलियों की उपस्थिति की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने गुरुवार की रात से ही सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। शुक्रवार की सुबह लगभग 6 बजे, दक्षिण-पश्चिमी बीजापुर के घने जंगलों में संयुक्त टीम ने माओवादियों को घेर लिया। जवाबी कार्रवाई में माओवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। लगभग दो घंटे तक चली इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया।
मौके पर पहुंची फॉरेंसिक टीम ने सर्च के दौरान दो माओवादियों के शव बरामद किए। इनके पास से एक .303 राइफल, एक एसएलआर, कुछ देसी हथियार और भारी मात्रा में आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) मिले।
इसके अलावा, दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे चावल, दवाइयां और प्रचार सामग्री भी बरामद हुई। पुलिस को संदेह है कि मारे गए माओवादी स्थानीय दस्ते के सदस्य हो सकते हैं। हालांकि, उनकी पहचान अभी जारी नहीं की गई है।
यह घटना बीजापुर के उन क्षेत्रों में हुई है, जहां माओवादी लंबे समय से सक्रिय हैं। जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा, "ऑपरेशन सफल रहा है। लेकिन, खतरा अभी भी बना हुआ है, इसी कारण सर्च जारी रखी गई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन में शामिल बलों की संख्या और सटीक स्थान जैसी संवेदनशील जानकारियां अभी साझा नहीं की जा सकतीं, ताकि जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। किसी सुरक्षाकर्मी के घायल होने की खबर नहीं है।
यह जानकारी दी जाती है कि बीजापुर छत्तीसगढ़ का एक ऐसा जिला है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रमुख है। यहां के जंगल माओवादियों के लिए छिपने का सुरक्षित ठिकाना बने हुए हैं। इस वर्ष अब तक राज्य में कई ऐसी मुठभेड़ें हो चुकी हैं, जिनमें कई नक्सली मारे गए हैं।