क्या भाजपा ने मुंबई इकाई में महासचिवों की नियुक्ति के जरिए बीएमसी चुनाव की तैयारी शुरू की?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने चार नए महासचिव नियुक्त किए हैं।
- कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
- बीएमसी चुनावों में भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन है।
- भाजपा का लक्ष्य 2025 में जीत हासिल करना है।
- कांग्रेस के निर्णय से महा विकास अघाड़ी गठबंधन में अस्थिरता आ सकती है।
मुंबई, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों से पहले, भारतीय जनता पार्टी ने अपनी मुंबई इकाई में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। भाजपा ने बीएमसी चुनाव को ध्यान में रखते हुए बुधवार को चार नए महासचिवों की नियुक्ति की।
भाजपा ने राजेश शिरवाडकर, गणेश खणकर, आचार्य पवन त्रिपाठी और श्वेता पारुलकर को मुंबई भाजपा के महासचिव के रूप में नई जिम्मेदारी सौंपी है। यह निर्णय पार्टी की रणनीति का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मुंबई में अपनी पकड़ को मजबूत करना और 2025 के नगर निगम चुनावों में सफलता प्राप्त करना है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दी है। मुंबई इकाई ने बताया कि ये नए महासचिव पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बीएमसी चुनावों में भाजपा शिवसेना (ईबीएस) के साथ गठबंधन में लड़ेगी।
इससे पहले, कांग्रेस ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया था, जो उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा था कि पार्टी आगामी बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी।
विजय वडेट्टीवार ने नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, "हमारे स्थानीय नेताओं ने अकेले चलने के लिए आग्रह किया है। इस स्थिति में हाईकमान से बात की गई। हाईकमान का कहना है कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसला लें। मुंबई के स्तर पर वही निर्णय हुआ है और अकेले चुनाव लड़ा जाएगा।"
कांग्रेस के इस निर्णय से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस के साथ शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी-एसपी भी शामिल हैं।
इससे पहले, कांग्रेस की मुंबई नगर इकाई ने बताया कि चुनाव में उम्मीदवारी के लिए एक हजार से अधिक आवेदन आए हैं।
2017 के चुनावों में भाजपा ने 82 सीटें जीती थीं, जो शिवसेना के 84 के मुकाबले लगभग बराबर थीं। वहीं, कांग्रेस को 31 और एनसीपी को 9 सीटें मिली थीं।