क्या भाजपा के सहयोगी दलों पर दबाव बनाने के लिए लाया गया संविधान संशोधन बिल?

सारांश
Key Takeaways
- संविधान संशोधन बिल में गंभीर आरोपों के तहत पद से हटाने का प्रावधान है।
- भाजपा के सहयोगी दलों पर दबाव बनाने का आरोप।
- राहुल गांधी की सुरक्षा बढ़ाने की मांग उठी है।
- यूपी में खाद की कालाबाजारी का मुद्दा गंभीर है।
- दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर संवेदनशीलता की आवश्यकता।
लखनऊ, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को अपराध के गंभीर आरोपों के बाद पद से हटाने के लिए एक बिल पेश किया। इस बिल का विपक्ष के कई दल विरोध कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह संविधान संशोधन बिल भाजपा के सहयोगी दलों पर दबाव बनाने के लिए लाया गया है, क्योंकि सहयोगी दल उसका साथ छोड़ सकते हैं। इस विधेयक के माध्यम से सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों को समाप्त करना चाहती है।
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राय ने कहा, "इसके लिए एक उचित योजना बनानी चाहिए और आवारा कुत्तों को संरक्षित करना चाहिए।" उन्होंने इस मुद्दे पर संवेदनशील और व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने यूपी सरकार पर शिक्षा के व्यावसायीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार शिक्षण संस्थानों में राजनीतिक नियुक्तियां कर रही है, जो शिक्षा की गुणवत्ता और भविष्य के लिए हानिकारक है। राज्य सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के बजाय इसका व्यवसायीकरण कर रही है, जो छात्रों और शिक्षकों के लिए नुकसानदायक है।
अजय राय ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। इसे लेकर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जिस तरह आम लोगों से मिलते-जुलते हैं, उनकी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने गांधी परिवार के साथ अतीत में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पूरा देश उनकी सुरक्षा चाहता है। राहुल गांधी की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
इसके अलावा अजय राय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में खाद की कालाबाजारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी मिलीभगत से खाद को नेपाल भेजा जा रहा है, जिससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है। किसान और मजदूर खाद के लिए तरस रहे हैं, जबकि इसे मोटे दामों पर विदेश में बेचा जा रहा है। सरकार तंत्र का दुरुपयोग कर रही है।