क्या युवा ‘मन की बात’ सुनने के लिए उत्साहित रहते हैं? : बांसुरी स्वराज

सारांश
Key Takeaways
- ‘मन की बात’ कार्यक्रम युवाओं में उत्साह जगाता है।
- यह जन आंदोलन का स्वरूप है।
- पीएम मोदी ने स्पेस सेक्टर में नवाचार के बारे में बताया।
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का महत्व बताया गया।
- भाजपा सांसद ने महिलाओं के योगदान को सराहा।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 124वें एपिसोड को एक जन आंदोलन के रूप में वर्णित किया है, जो युवाओं में उत्साह और आत्मविश्वास का संचार करता है।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह आधे घंटे का कार्यक्रम देशवासियों में विश्वास का संचार करता है। इसे एक आशावादी मंच के रूप में देखा जा सकता है, जो युवाओं को प्रेरित करता है।
इस एपिसोड में पीएम मोदी ने स्पेस सेक्टर, मराठा किलों को यूनेस्को की मान्यता और महिलाओं द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट जैसी सफलताओं का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, आमेर, जैसलमेर, गुलबर्गा और चित्रदुर्ग जैसे अद्भुत किले हमारे आत्मसम्मान, शौर्य और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं। इन किलों ने आक्रमण और विपरीत परिस्थितियों का सामना किया, परंतु स्वाभिमान को कभी नहीं झुकने दिया। देश में स्पेस स्टार्टअप्स की संख्या अभूतपूर्व गति से बढ़ रही है। पांच वर्ष पहले जहां इनकी संख्या 50 से कम थी, आज 200 से अधिक स्टार्टअप्स केवल स्पेस सेक्टर में कार्यरत हैं। अगले महीने 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे के अवसर पर इसे नवाचार और वैज्ञानिक चेतना के उत्सव के रूप में मनाने की योजना है।
भाजपा सांसद ने एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने इसे न केवल एक सैन्य अभियान, बल्कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम और राष्ट्र के आत्मविश्वास का प्रतीक करार दिया।
लोकसभा और राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने मानसून सत्र में इस सैन्य अभियान पर चर्चा करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने इसकी सराहना की और इसे भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ताकत और राष्ट्र के आत्मविश्वास का प्रतीक बताया। संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए समय निर्धारित है।
मनसा देवी में भगदड़ की घटना पर उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं अत्यंत संवेदनशील होती हैं, और उनकी संवेदनाएं मृतकों और घायलों के साथ हैं।