क्या भाजपा ने एमसीडी की एससी कमेटी में दलितों के अधिकार छीन लिए?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने एससी कमेटी के सदस्यों की संख्या कम की।
- अंकुश नारंग ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया।
- एमसीडी चुनाव में दलित समाज ने भाजपा को दरकिनार किया।
- भाजपा के पास केवल 9 दलित पार्षद हैं।
- सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी ने एमसीडी की एससी कमेटी में सदस्यों की संख्या में भारी कटौती करने को लेकर भाजपा पर तेज हमला किया है। एमसीडी में ‘‘आप’’ के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने दलित विरोधी होने के कारण अपना चेयरमैन बनाने के लिए 35 सदस्यीय एससी कमेटी को कम करके 21 सदस्यीय कर दिया है। इसके पास सिर्फ 9 पार्षद ही दलित समुदाय से हैं। जबकि एमसीडी में 42 में से 31 दलित पार्षद ‘‘आप’’ के हैं। यदि कमेटी का चेयरमैन ‘‘आप’’ का बन जाता तो क्या बिगड़ जाता? सिर्फ सत्ता के लालच में भाजपा ने 14 दलित पार्षदों का अधिकार छीन लिया है।
अंकुश नारंग ने कहा कि कुछ दिन पहले एमसीडी की कमेटियों का चुनाव होना था, लेकिन महापौर राजा इकबाल सिंह ने अचानक एक नोटिस जारी कर कमेटियों के चुनाव को रोक दिया। यह किसी को भी नहीं पता था कि महापौर कमेटियों में क्या संशोधन करना चाहते थे। अब वह संशोधन सामने आ गया है। भाजपा के मेयर ने कमेटियों में जो संशोधन किया है, वह पूरी तरह से दलित विरोधी कार्य है।
अंकुश नारंग ने कहा कि अभी तक एमसीडी में अनुसूचित जाति की कमेटी 35 सदस्यों की होती थी। लेकिन भाजपा ने संशोधन प्रस्ताव लाकर अनुसूचित जाति की कमेटी को 21 सदस्यीय कर दिया है। अनुसूचित जाति की एक कमेटी से भाजपा ने 14 सदस्य कम कर दिए हैं। भाजपा आदर्शवाद की बहुत बात करती है और मेयर राजा इकबाल सिंह सिद्धांतों की बात करते हैं। एमसीडी चुनाव के दौरान 42 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित थी। इसमें से 36 सीटें आम आदमी पार्टी जीती। दलित समाज ने भाजपा को एमसीडी चुनाव में दरकिनार कर दिया। भाजपा ने एससी की मात्र 6 सीटें ही जीत सकी। इसके बाद भाजपा ने ईडी-सीबीआई से डराकर आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों को तोड़ लिया।
अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा के पास एससी के पार्षद ही नहीं हैं। इसलिए भाजपा ने एससी की कमेटी की सदस्यों की संख्या 35 से घटाकर 21 कर दी है। भाजपा के पास वर्तमान में 9 पार्षद दलित समाज से हैं। इसलिए उसने अपने 9 पार्षद कमेटी में शामिल कर दिए। जबकि 7 पार्षद ‘‘आप’’ और 2 पार्षद इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी (आईवीपी) के हैं। जबकि आवंटित लिस्ट में आईवीपी का एक पार्षद था। कांग्रेस का भी एक पार्षद सूची में था, लेकिन उसके पास दलित पार्षद नहीं था। तो भाजपा ने कांग्रेस का कोटा आईवीपी को दे दिया। इससे साफ है कि इस कमेटी के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आईवीपी मिलकर काम कर रहे हैं। भाजपा के पास सिर्फ 9 पार्षद ही एससी के थे, इसलिए इन्होंने 21 सदस्यीय कमेटी बना दी।
इस दौरान सिटी एसपी जोन के चेयरमैन विकास टांग ने कहा कि 2007 में वह पार्षद हैं। उस समय भी एससी कमेटी में 35 मेंबर थे। लेकिन भाजपा ने सत्ता के दुरुपयोग से इसे घटाकर 21 कर दिया। सिर्फ इसलिए ताकि उनका चेयरमैन बन जाए। 14 मेंबर, जो कमेटी में आ सकते थे, उनकी आवाज दबा दी गई। ये लोग अपने क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों की समस्याएं उठाते। लेकिन भाजपा ने उनके अधिकार छीन लिए। उन्होंने कहा कि “आप” ने सदन में 12,000 सफाई कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव पारित किया था। ये कर्मचारी 20-20 सालों से पक्के होने का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।