क्या भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने समाजवादी पार्टी की ‘पीडीए पाठशाला’ पर एतराज जताया?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने समाजवादी पार्टी की ‘पीडीए पाठशाला’ पर एतराज जताया।
- भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने इसे राजनीतिक विष घोलने का प्रयास बताया।
- शिक्षा को राजनीति से मुक्त रखना चाहिए।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षा में सुधार हुए हैं।
- बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखना आवश्यक है।
लखनऊ, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा प्रारंभ की गई ‘पीडीए पाठशाला’ में बच्चों को ‘ए फॉर अखिलेश’ और ‘डी फॉर डिंपल’ जैसे विषय पढ़ाने पर भाजपा ने कड़ा विरोध प्रकट किया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने इसे 'राजनीतिक विष घोलने की साजिश' बताते हुए इसे बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ कहा है। उन्होंने चेताया कि बच्चों के भविष्य को किसी राजनीतिक दल की प्रयोगशाला नहीं बनने दिया जाएगा। चौधरी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि सपा की ‘पीडीए पाठशाला’ बच्चों की कोमल चेतना में राजनीतिक विचारधारा थोपने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि यह शिक्षा नहीं, बल्कि समाजवादी ब्रेनवॉश है। जब सपा सत्ता में थी, तब भी उसने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया और अब फिर वही मानसिकता सामने आ रही है। अगर वे ‘ए फॉर एपीजे अब्दुल कलाम’ पढ़ाते, तो बात कुछ और होती। चौधरी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सोच आज भी परिवारवाद से ऊपर नहीं उठ पाई है। अगर उन्हें सच में बच्चों के भविष्य की चिंता होती, तो वे ‘ए फॉर अब्दुल कलाम’, ‘डी फॉर डॉ. अंबेडकर’ सिखाते, लेकिन उन्होंने पाठशाला को भी परिवारवाद से जोड़ दिया है। उन्होंने इसे शिक्षा के नाम पर बच्चों के मन-मस्तिष्क में सस्ती राजनीति घोलने की घोर निंदा की।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा को राजनीति से मुक्त रखना चाहिए ताकि बच्चे निष्पक्ष और तार्किक सोच के साथ विकसित हो सकें। हम बच्चों की शिक्षा को किसी भी राजनीतिक विचारधारा का शिकार नहीं बनने देंगे। हम हर मंच पर इस विकृत मानसिकता के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि समाजवादी पार्टी के 2012-2017 के शासनकाल में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी। स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, भवन जर्जर थे और नकल माफिया हावी थे। शिक्षा के नाम पर सिर्फ घोषणाएं होती थीं।
चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हुए हैं। बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं, नकल माफिया पर शिकंजा कसा गया है और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिला है। यही कारण है कि आज उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली देश में मिसाल बन रही है।