क्या भाजपा ने पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत चुनाव आयोग को भेजी?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने एसआईआर प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगाया है।
- डिजिटाइजेशन में अजीब वृद्धि हुई है।
- चुनाव आयोग को तुरंत ऑडिट कराने की मांग की गई है।
- मृत वोटरों के नाम हटाने की मांग की गई है।
कोलकाता, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के दौरान गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अपना विरोध जताया है।
भाजपा नेताओं ने राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है। पत्र में कहा गया है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान कई अनियमितताएं सामने आई हैं, जिन पर पार्टी कड़ा विरोध जताती है। भाजपा ने 26 से 28 अक्टूबर के बीच डिजिटाइजेशन में अचानक हुई बढ़ोतरी पर सवाल उठाया है।
भाजपा का कहना है कि 26 से 28 अक्टूबर के बीच डिजिटाइजेशन के आंकड़े 5.5 करोड़ से बढ़कर 6.75 करोड़ हो गए। केवल तीन दिनों में 1.25 करोड़ एंट्री का बढ़ जाना बहुत अजीब है। मिली जानकारी के अनुसार, यह बढ़ोतरी बीएलओ की वजह से नहीं, बल्कि आईपीएसी की वजह से हुई है, जिसे गैर-कानूनी तरीके से डिजिटाइजेशन का काम करने वाली और सत्ताधारी टीएमसी के करीब माना जाता है।
भाजपा नेताओं ने अपने पत्र में लिखा है कि यह वोटर लिस्ट की निष्पक्षता और पवित्रता पर सीधा हमला है। अगर बाहरी राजनीतिक एजेंसियों को एसआईआर का काम करने दिया जाता है, तो यह पूरी प्रक्रिया गैर-कानूनी हो जाती है। इसलिए भाजपा मांग करती है कि डिजिटाइजेशन प्रक्रिया का तुरंत ऑडिट कराया जाए और ऑडिट पूरा होने तक बिना अनुमति किसी भी डेटा का उपयोग रोका जाए।
इसके अलावा, जिला इकाइयों की बार-बार दी गई शिकायतों के बावजूद मृत वोटरों के नाम हटाए नहीं जा रहे हैं। भाजपा ने मांग की है कि आपकी सीधी निगरानी में जिले-जिले में एक खास अभियान चलाया जाए, ताकि सभी प्रमाणित मृत वोटरों के नाम तुरंत हटाए जा सकें।
भाजपा ने आगे कहा कि हमारे विरोध के बावजूद एसडीओ या उससे नीचे के ईआरओ पूरे राज्य में काम कर रहे हैं। आपके कार्यालय ने कोई व्यावहारिक सुधार नहीं किए हैं, जिससे खराब वेरिफिकेशन, निष्पक्षता में कमी और एसआईआर नियमों का उल्लंघन हुआ है। इस पर जरूरी कदम उठाने की मांग की गई है।
चुनाव आयोग से की गई शिकायत में भाजपा ने यह भी कहा है कि कुछ जिलों में सुपर टाइम स्केल के डीएम/डीईओ की पोस्टिंग जरूरी नियमों के खिलाफ है। निष्पक्ष निगरानी के लिए इसे तुरंत ठीक करने की जरूरत है। ये मुद्दे कोई छोटी-मोटी कमियां नहीं हैं, बल्कि चुनाव की ईमानदारी पर सीधा असर डालते हैं। अगर जल्द और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 के लिए एसआईआर खतरे में पड़ सकती है।