क्या छातापुर में भाजपा-राजद के बीच मुकाबला होगा? नीरज कुमार सिंह क्या जीतेंगे हैट्रिक?
सारांश
Key Takeaways
- छातापुर विधानसभा सीट की भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण है।
- यहाँ की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था स्थानीय विकास का आधार है।
- राजनीतिक पृष्ठभूमि में भाजपा और राजद की प्रमुखता है।
- इस क्षेत्र में मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं।
- नीरज कुमार सिंह की तीसरी जीत की संभावना पर सबकी नज़रें हैं।
पटना, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुपौल जिले की छातापुर विधानसभा सीट बिहार के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में, नेपाल सीमा के निकट स्थित है। यह सुपौल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और यहाँ की भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक विरासत और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है।
इस विधानसभा क्षेत्र में छातापुर और बसंतपुर प्रखंड शामिल हैं। यह क्षेत्र सुपौल जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर पूर्व और सहरसा से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन निर्मली है, जबकि सहरसा और फारबिसगंज से भी रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध है।
छातापुर के सीतापुर ग्राम में स्थित दुर्गा मंदिर स्थानीय आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। साथ ही, छातापुर प्रखंड के राजेश्वरी गांव में स्थित जगत जननी राज-राजेश्वरी मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि जब कोसी नदी अपने उग्र रूप में थी, तो मंदिर के निकट पहुंचने पर उसने अपनी दिशा बदल ली थी, जिसका प्रमाण आज भी स्थानीय लोग दिखाते हैं।
यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण और कृषि आधारित है। यहाँ की प्रमुख फसलें धान, मक्का और दालें हैं, जबकि सब्जी उत्पादन और छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन भी स्थानीय आय का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेपाल सीमा के निकटता के कारण यहाँ अनौपचारिक सीमा पार व्यापार भी अर्थव्यवस्था को गति देता है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में, छातापुर विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी। शुरुआती दौर में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया। अब तक यहाँ 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।
कांग्रेस ने 1969 से 1985 के बीच तीन बार जीत दर्ज की थी, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (1967, 1969), जनता दल (1990, 1995) और जदयू (2005, 2010) को दो-दो बार सफलता मिली। राजद ने 2000, 2002 (उपचुनाव) और 2005 में जीत हासिल की थी। जनता पार्टी को 1977 में एक बार सफलता मिली थी।
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने सीट पर कब्जा बनाए रखा। उन्होंने राजद के विपिन कुमार सिंह को हराया था। इससे पहले 2015 में भी नीरज कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी। इस बार वे लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाने की कोशिश में हैं।
इस बार 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा के नीरज कुमार सिंह के अलावा, राजद ने विपिन कुमार सिंह और जन सुराज पार्टी ने अभय कुमार सिंह को टिकट दिया है।
इस सीट पर मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं, जो इस चुनाव में भी समीकरण तय कर सकते हैं।