क्या भाजपा ने अखिलेश यादव को दीये जलाने को पैसे की बर्बादी बताने पर घेरा?

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क्या भाजपा ने अखिलेश यादव को दीये जलाने को पैसे की बर्बादी बताने पर घेरा?

सारांश

नई दिल्ली में भाजपा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया दी। जहां उन्होंने दीये जलाने को पैसे की बर्बादी कहा, भाजपा ने इसे हिंदू आस्था का अपमान बताया। जानिए इस मुद्दे पर क्या कहा गया और दीपावली के महत्व पर चर्चा।

Key Takeaways

  • दीपावली हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है।
  • अखिलेश यादव का बयान विवादास्पद है।
  • भाजपा ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया।
  • त्योहारों का सम्मान होना चाहिए।
  • अयोध्या में दीपोत्सव का महत्व।

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के बयान को हिंदू परंपराओं के प्रति 'चौंकाने वाला' और 'असंवेदनशील' करार दिया।

असल में, शनिवार को अखिलेश यादव के बयान ने विवाद को जन्म दिया। उन्होंने कहा था, "दुनिया में, क्रिसमस के दौरान शहर सुंदरता से जगमगा उठते हैं और यह उत्सवी रोशनी महीनों तक चल सकती है। हमें इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा खर्च करने और इस प्रक्रिया पर इतना ज्यादा सोचने की क्या जरूरत है? हमें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए कि सरकार से क्या उम्मीद की जाए; शायद इसे बदला जाना चाहिए। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में और भी शानदार रोशनियां हों।"

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने प्रतिक्रिया देते हुए आधिकारिक 'एक्स' पोस्ट में कहा, "अखिलेश यादव का बयान न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि हमारे त्योहारों के प्रति असंवेदनशीलता भी दर्शाता है। दीपावली हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक है। यह केवल रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है।"

उन्होंने कहा, "दीये और मोमबत्तियां हमारी परंपरा का हिस्सा हैं, जो हर घर की भावना और भक्ति का प्रतीक हैं। इन्हें 'पैसे की बर्बादी' कहना न केवल अनुचित है, बल्कि हिंदू धर्म का अपमान भी है।"

उन्होंने आगे कहा कि त्योहारों की तुलना करने के बजाय, अखिलेश यादव को 'भारत की विविध परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है।'

राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए, भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी सपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा, "कम से कम 'मौलाना' अखिलेश यादव हमें यह न बताएं कि दीपावली कैसे मनाई जाए। इस साल का उत्साह और खुशी उनके जैसे लोगों की मानसिकता को ठेस पहुंचाती दिख रही है, जो सनातन परंपराओं का विरोध करते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "दीये और पटाखे जलाना भारत की संस्कृति का हिस्सा है। अखिलेश यादव इसे नहीं समझते, क्योंकि उन्हें सिर्फ वोट बैंक की परवाह है और भारतीय सभ्यता से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यही वजह है कि जनता उन्हें हर बार नकार देती है।"

विधायक रामेश्वर शर्मा ने अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "अखिलेश यादव के पिताजी भी दीप जलाने से नहीं रोक पाए थे। अब तो पूरे विश्व में सनातन का दिया जल रहा है, उसको अब कोई नहीं रोक पाएगा। इस प्रकार का बयान अखिलेश नाम का व्यक्ति दे सकता है।"

यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अयोध्या 17 अक्टूबर से शुरू हुए अपने नौवें दीपोत्सव के भव्य समापन की तैयारी कर रहा है। सोमवार को सरयू नदी के किनारे 56 घाटों पर 26,11,101 दीये जलाकर उत्सव अपने चरम पर पहुंच जाएगा, जो शहर के आध्यात्मिक उत्सवों में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।

Point of View

एक महत्वपूर्ण बिंदु है। लेकिन क्या अखिलेश यादव का बयान केवल राजनीतिक खेल का हिस्सा था? एक व्यापक दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

अखिलेश यादव ने दीये जलाने को पैसे की बर्बादी क्यों कहा?
अखिलेश यादव ने कहा कि हमें दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं है, और इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भाजपा ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी?
भाजपा ने अखिलेश यादव के बयान को असंवेदनशील और हिंदू आस्था का अपमान बताया।
दीपावली का महत्व क्या है?
दीपावली केवल रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
क्या यह बयान राजनीतिक विवाद है?
जी हां, यह बयान राजनीतिक खेल का एक हिस्सा प्रतीत होता है, जहां धार्मिक भावनाएं भी शामिल हैं।
अयोध्या में दीपोत्सव क्यों खास है?
अयोध्या में दीपोत्सव एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जो दीपावली के समय मनाया जाता है।