क्या बीएनपी ने 'चुनाव से पहले सुधार' की दलील को खारिज कर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- बीएनपी ने चुनाव में देरी को सख्ती से खारिज किया है।
- उन्हें जनता को जल्द से जल्द मतदान का अधिकार देने की आवश्यकता है।
- सुधारों को चुनाव टालने के बहाने के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- लोकतंत्र की बहाली के लिए सत्ता को जनता को वापस लौटाना जरूरी है।
- विपक्षी गठबंधन में मतभेद उभर रहे हैं।
ढाका, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा दिए गए तर्क "पहले सुधार, फिर चुनाव" को दृढ़ता से खारिज किया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में चुनाव में देरी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शनिवार को पार्टी के सदस्यता अभियान के दौरान डॉ. अब्दुल मोईन खान, जो बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य हैं, ने कहा कि वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जनता को मतदान का अधिकार देना है और इसके लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव जल्द से जल्द कराए जाने चाहिए।
डॉ. खान ने कहा, "बीएनपी अब 'पहले सुधार, फिर चुनाव' जैसे तर्क नहीं मानेगी। सुधार और न्याय एक निरंतर प्रक्रिया है। अंतरिम सरकार का मुख्य कर्तव्य लोकतंत्र की बहाली है, और इसके लिए सत्ता को जल्द से जल्द जनता को वापस लौटाना चाहिए।"
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम बरतने की सलाह देते हुए कहा कि उनका आचरण लोकतांत्रिक होना चाहिए, न कि सत्तारूढ़ अवामी लीग की तरह।
इससे एक दिन पहले, बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रुहुल कबीर रिजवी ने भी इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा था कि सुधार कोई स्थिर प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक गतिशील प्रक्रिया है।
रिजवी ने कहा, "सुधार स्थिर नहीं होते, जैसे थाईलैंड की पहाड़ी श्रृंखला।"
उन्होंने आगे कहा कि सुधार आवश्यक हैं, लेकिन इन्हें चुनाव टालने के बहाने के रूप में नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जनता को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? चुनाव टालने की कोशिश लोकतंत्र के खिलाफ है। सबसे अहम काम सत्ता को जनता के हाथों में लौटाना है।
बीएनपी की यह कड़ी प्रतिक्रिया उस समय आई है, जब नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने शुक्रवार को रैली में कहा था कि देश की जनता न्यायिक और राजनीतिक सुधारों के बिना आम चुनाव नहीं होने देगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगस्त 2024 में निर्वाचित अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटाने के बाद बनी यूनुस-नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पारदर्शिता और लोकतांत्रिक बहाली के स्पष्ट रोडमैप से अब भी दूर है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ एकजुट होकर जिस विपक्षी गठबंधन ने जुलाई आंदोलन के जरिए मुहम्मद यूनुस को अंतरिम प्रमुख बनाया था, उसमें अब मतभेद उभरने लगे हैं।