क्या मुक्केबाजी के राष्ट्रीय कैंप में निजी प्रशिक्षकों पर रोक लगी रहेगी?

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क्या मुक्केबाजी के राष्ट्रीय कैंप में निजी प्रशिक्षकों पर रोक लगी रहेगी?

सारांश

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने राष्ट्रीय शिविरों में निजी प्रशिक्षकों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम केंद्रीकृत प्रशिक्षण को सशक्त बनाने और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। जानें इस निर्णय के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • केंद्रीकृत प्रशिक्षण से प्रदर्शन मानक में सुधार होगा।
  • राष्ट्रीय शिविरों में निजी प्रशिक्षकों की अनुमति नहीं है।
  • महिलाओं और पुरुषों की मुक्केबाजी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
  • एकीकृत प्रणाली से बैठक और प्रगति का ट्रैकिंग संभव है।
  • यह निर्णय भारतीय मुक्केबाजी का भविष्य तय करेगा।

नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) की देखरेख करने वाली अंतरिम समिति ने आधिकारिक राष्ट्रीय शिविरों (कैंप) में निजी प्रशिक्षकों और सहायक कर्मचारियों को अनुमति न देने के अपने निर्णय को बनाए रखने का निर्णय लिया है। यह कदम केंद्रीकृत प्रशिक्षण को सशक्त बनाने और एकरूपता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।

इस निर्देश का उद्देश्य भारतीय मुक्केबाजों के लिए प्रमुख वैश्विक आयोजनों, जैसे कि सितंबर में लिवरपूल में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप, नवंबर में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स और अगले साल होने वाले एशियाई खेलों के लिए तैयारी के मानकों में समानता सुनिश्चित करना है।

भारत के पेरिस 2024 ओलंपिक अभियान से सबक लेते हुए, मुक्केबाजी अंतरिम समिति ने एक केंद्रीकृत और जवाबदेह प्रशिक्षण प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया है।

तीन महीने पहले शुरू की गई इस व्यवस्था के तहत सभी राष्ट्रीय शिविरों में मुक्केबाजों को महासंघ द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों के अधीन प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं।

पुरुष और महिला मुक्केबाजी में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई दे रही है। भारत ने ब्राजील में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप में छह पदक जीते और हाल ही में अस्ताना में संपन्न विश्व मुक्केबाजी कप में महिला वर्ग में तीन स्वर्ण पदक सहित 11 पदक प्राप्त किए।

बीएफआई के कार्यकारी निदेशक और अंतरिम समिति के सदस्य, कर्नल (सेवानिवृत्त) अरुण मलिक ने कहा, "एक एकीकृत, केंद्रीकृत प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है। अपने कोचिंग ढांचे को मजबूत बनाकर, हम स्पष्ट प्रदर्शन मानक बनाए रखने, वास्तविक समय में प्रगति पर नजर रखने और आवश्यकतानुसार समय पर सुधार लागू करने में सक्षम हैं।"

उन्होंने कहा, "यह प्रक्रिया बेहतर अनुशासन, डेटा-आधारित फीडबैक और दीर्घकालिक एथलीट विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। कजाकिस्तान के अस्ताना में विश्व मुक्केबाजी कप में ऐतिहासिक प्रदर्शन सहित हमारी हालिया पदक तालिका इस बात को पुष्ट करती है कि एक केंद्रीकृत मॉडल परिणाम देता है। हम उच्च-स्तरीय सफलता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए इस प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

राष्ट्रीय शिविरों का नेतृत्व वर्तमान में मुख्य प्रशिक्षक डी.एस. यादव (पुरुष) और डॉ. चंद्रलाल (महिला) कर रहे हैं।

यह निर्देश भारतीय मुक्केबाजी में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो व्यक्तिगत नेतृत्व वाली तैयारियों से हटकर वैश्विक प्रभाव और उत्कृष्टता के लिए तैयार की गई एकल, एकजुट प्रणाली की ओर ले जाएगा।

ऐसी प्रणाली की आवश्यकता इसलिए महसूस की जाती है, क्योंकि कई बार खिलाड़ी कोच की शैली, तरीकों और दृष्टिकोण का अनुसरण करने में रुचि दिखाते हैं, जो राष्ट्रीय कोच द्वारा प्रस्तावित तरीकों से मेल नहीं खाता।

Point of View

यह निर्णय निश्चित रूप से भारतीय मुक्केबाजी के लिए एक सकारात्मक कदम है। एकीकृत प्रशिक्षण प्रणाली से न केवल खिलाड़ियों की प्रदर्शन क्षमता में सुधार होगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भी बढ़ावा देगा। हमें इस प्रणाली का समर्थन करना चाहिए, ताकि हम वैश्विक स्तर पर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या निजी प्रशिक्षकों का शिविरों में आना संभव है?
नहीं, वर्तमान में राष्ट्रीय शिविरों में निजी प्रशिक्षकों को अनुमति नहीं है।
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य केंद्रीकृत प्रशिक्षण को मजबूत करना और एकरूपता बनाए रखना है।
किस प्रकार के आयोजनों के लिए तैयारी की जा रही है?
तैयारी विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप, विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स और एशियाई खेलों के लिए की जा रही है।